नयी दिल्ली : संसद की एक समिति ने कहा है कि यमुना की सफाई पर अब तक 6,500 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, इसके बावजूद यह नदी पहले से भी ‘अधिक गंदी’ नजर आती है. साथ ही समिति ने कहा कि दिल्ली के तीन बड़े नालों पर इंटरसेप्टर सीवर लगाने की परियोजना अब तक पूरी नहीं की गयी है.शहरी विकास पर स्थायी समिति ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में शहरी विकास मंत्रालय से यमुना को बचाने और इसके ‘पारिस्थितिकी को बनाए रखने’ के लिए इंटरसेप्टर सीवर परियोजना जल्दी पूरा करने को कहा है. समिति ने कहा कि सफाई पर 6,500 करोड़ रुपये खर्च किए जाने के बावजूद यमुना पहले से अधिक गंदी नजर आती है. शहर के मुख्य नालों पर लगने वाले इंटरसेप्टर सीवर यमुना के प्रदूषण को रोकने के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये सीवर अशोधित गंदे पानी को नदी में बहने से रोक देंगे.
मंत्रालय ने जवाहरलाल नेहरु राष्ट्रीय शहरी नवीकरण अभियान :जेएनएनयूआरएम: के तहत दिल्ली में इंटरसेप्टर सीवर लगाने की परियोजना को मंजूरी दी थी. इस परियोजना का कार्यान्यवन किया जा रहा है. 31 सदस्यीय समिति के अध्यक्ष जदयू के सांसद शरद यादव ने कहा, ‘‘अब तक यमुना के प्रदूषित एवं काले पड़ चुके पानी की सफाई हो जानी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.’’ उन्होंने साथ ही कहा कि यमुना की सफाई को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है. शहरी विकास मंत्रालय भी इसका हिस्सा है. समिति ने कहा कि गंदे पानी की सफाई बहुत जरुरी है ‘ताकि यमुना नदी के तट को कचरा फेंकने की जगह बनाने की बजाए इसका विकास किया जा सके.’