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मुसलिम भी गोद ले सकते हैं बच्चा

नयी दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में बुधवार को मुसलिमों को भी बच्च गोद लेने का अधिकार दे दिया. कोर्ट ने कहा कि जब तक देश में समान नागरिक संहिता लागू नहीं हो जाता, देश के कानून को पर्सनल लॉ से प्राथमिकता देनी चाहिए. संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता का प्रावधान […]

नयी दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में बुधवार को मुसलिमों को भी बच्च गोद लेने का अधिकार दे दिया. कोर्ट ने कहा कि जब तक देश में समान नागरिक संहिता लागू नहीं हो जाता, देश के कानून को पर्सनल लॉ से प्राथमिकता देनी चाहिए. संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता का प्रावधान है. कानून ने सभी को बच्चा गोद लेने का अधिकार दिया है. पर्सनल लॉ के निर्देशों से इसे व्यर्थ नहीं किया जा सकता. मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तहत मुसलिम बच्चा गोद नहीं ले सकते.

सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी की आठ साल पुरानी याचिका पर यह फैसला सुनाया. हाशमी को बच्चा गोद लेने की अनुमति नहीं दी गयी, तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी को बच्चा गोद लेने का वैधानिक अधिकार है, लेकिन इसे मूलभूत अधिकार घोषित करने का अभी सही वक्त नहीं है.

अल्पसंख्यकों को ‘कोटा’ पर होगी सुनवाई
केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में पिछड़े वर्गो के आरक्षण कोटे से अल्पसंख्यकों को 4.5 फीसदी कोटा देने के निर्णय पर अमल हेतु अंतरिम आदेश के लिए केंद्र सरकार के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए सहमत हो गया. अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसदी कोटे को आंध्रप्रदेश हाइकोर्ट ने निरस्त कर दिया था. जस्टिस केएस राधाकृष्णन की अध्यक्षतावाली खंडपीठ ने बुधवार को केंद्र से कोर्ट के पहले के आदेश में सुधार के लिए ठीक से अर्जी दायर करने के लिए कहा. शीर्ष कोर्ट ने इससे पहले हाइकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

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