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भारत में बढ़ रही है कैंसर के रोगियों की संख्या

नयी दिल्ली : सरकार ने आज माना कि देश में कैंसर के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने आज राज्यसभा को बताया कि भारतय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की नवीनतम सूचना के अनुसार, देश में वर्ष 2011 में कैंसर रोगियों (व्याप्तता) की संख्या अनुमानित 2819457 […]

नयी दिल्ली : सरकार ने आज माना कि देश में कैंसर के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने आज राज्यसभा को बताया कि भारतय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की नवीनतम सूचना के अनुसार, देश में वर्ष 2011 में कैंसर रोगियों (व्याप्तता) की संख्या अनुमानित 2819457 थी जो वर्ष 2012 में बढ़ कर 2820179 और वर्ष 2013 में 2934314 हो गई.

उन्होंने सी पी नारायणन के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि देश में वर्ष 2010 में संशोधित राष्ट्रीय तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) के तहत पंजीकृत तपेदिक रोगियों की संख्या 1522147 थी. यह संख्या वर्ष 2011 में 1515872 हो गई लेकिन वर्ष 2012 में यह घट कर 1467585 हो गई. आजाद ने बताया कि एड्स नियंत्रण विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, देश में एचआईवी संक्रमित रोगियों की संख्या वर्ष 2010-11 में 317336 थी जो वर्ष 2011-12 में 285152 और वर्ष 2012-13 के दौरान 245859 है. उन्होंने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो से मिली सूचना के अनुसार, वर्ष 2005 में देश में कोरोनरी हृदय रोग से पीड़ित रोगियों की संख्या 35886789 और वर्ष 2010 में 46968695 पाई गई.

आजाद ने डॉ प्रभाकर कोरे, रजनी पाटिल और के सी त्यागी के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि अंतरराष्ट्रीय मधुमेह संघ (आईडीएफ) की नवंबर 2013 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में मधुमेह के रोगियों की संख्या करीब 6.5 करोड़ है. भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान परिषद के भारत में मधुमेह पर अध्ययन में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में मधुमेह के रोगियों की संख्या करीब 6.24 करोड़ है.उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने जुलाई 2010 में राष्ट्रीय कैंसर, मधुमेह, दयवाहिका रोगों और आघात की रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम शुरु किया जिसका उद्देश्य जागरुकता फैलाना, व्यवहार और जीवनशैली में परिवर्तन और शीघ्र जांच से इन रोगों की रोकथाम और नियंत्रण करना है. आजाद ने बताया कि 12 वीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम को देश के सभी राज्यों में विस्तानर दिया गया है. इस साल 31 जनवरी तक 5.52 करोड़ लोगों की मधुमेह के लिए जांच की गई जिनमें से 6.11 फीसदी लोगों को यह बीमारी होने की आशंका है.

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