नयी दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने लाइलाज बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति द्वारा कृत्रिम चिकित्सा उपकरणों की मदद से जीवन को लंबा खींचने से इनकार कर इच्छा मृत्यु की अनुमति देने के सवाल पर मंगलवार को सुनवाई पूरी कर ली. कोर्ट ने इस मामले में अपना निर्णय बाद में सुनायेगा. प्रधान न्यायाधीश पी सतशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मसले में दायर जनहित याचिका पर व्यापक बहस के बाद सुनवाई पूरी की. 2008 में यह जनहित याचिका दायर की थी जब शीर्ष अदालत ने स्वास्थ्य मंत्रालय और कानून मंत्रालय से इस मामले में जवाब मांगा था. याचिका में अनुरोध किया गया है कि लाइलाज बीमारी से ग्रस्त रोगी को कृत्रिम चिकित्सा प्रणाली की सहायता से जिंदा रखने की अनुमति नहीं दी जाये. दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने पुरजोर विरोध करते हुए इसे ‘आत्महत्या’ करार दिया.
पक्ष में तर्क
गैर सरकारी संगठन कामन कॉज की ओर से दायर याचिका में दलील दी गयी है कि जब चिकित्सा विशेषज्ञ इस राय पर पहुंचते हैं कि व्यक्ति ऐसे मुकाम पर पहुंच गया है जहां बचने की कोई संभावना नहीं है तो उसे जीवन रक्षक उपकरणों की मदद लेने से इनकार करने का अधिकार दिया जाये. क्योंकि यह सिर्फ उसकी वेदना को ही आगे बढ़ायेगा.
विरोध में तर्क
अतिरिक्त सालिसीटर जनरल सिद्धार्थ लूथरा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि भारतीय समाज में इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है क्योंकि यह कानून और चिकित्सीय मूल्यों के खिलाफ होगा. यह याचिका कानून की नजर में टिक नहीं सकती और न्यायिक प्रक्रिया के जरिये इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती.