नयी दिल्ली : न्यायपालिका में जवाबदेही की प्रक्रिया को कमजोर बताते हुए विधि मंत्री कपिल सिब्बल ने आज कहा कि भारत के प्रधान न्यायाधीश की विवेकाधीन शक्तियों के परिणामस्वरुप काफी कम संख्या में न्यायाधीशों पर भ्रष्टाचार के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है.
उच्चतम न्यायालय और 24 उच्च न्यायालयों समेत उच्च न्यायपालिका का उल्लेख करते हुए सिब्बल ने कहा, ‘‘ जब तक प्रधान न्यायाधीश व्यक्तिगत रुप से मंजूरी नहीं देते तब तक जांच की कोई प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकती इसलिए आप काफी कम ऐसे मामले देखेंगे जहां मुकदमे चलते हैं. मैं सोचता हूं कि यह बड़ा मुद्दा है और हमें न्यायिक जवाबदेही के मामले में अपने आप से संघर्ष करना है.’’
विधि मंत्री ने कहा कि ऐसी ही स्थिति निचली न्यायपालिका की है जहां किसी विशेष उच्च न्यायालय का न्यायाधीश इस बात पर निर्णय करता है कि किसकी जांच की जायेगी और किसकी नहीं.