-डीआरडीओ सुरक्षा बलों के लिए विकसित कर रहा यूएवी-
नयी दिल्लीः रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने शुक्रवार को कहा कि वह सीआरपीएफ द्वारा इस्तेमाल में लाने के लिए ऐसे मानवरहित विमान (यूएवी) विकसित कर रहा है जिससे छत्तीसगढ़ एवं झारखंड जैसे नक्सल प्रभावित राज्यों के घने जंगली इलाकों में वाम चरमपंथियों का पता लगाया जा सके. डीआरडीओ प्रमुख अविनाश चंदर ने यहां ‘डेफएक्सपो’ में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम मार्च-अप्रैल के आसपास जगदलपुर से उस क्षेत्र में निशांत यूएवी का प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं.
उन्होंने शुरू में 16 विमानों की जरूरत के संकेत दिये हैं.’ सीआरपीएफ के जवान छत्तीसगढ़ एवं झारखंड जैसे राज्यों में उग्रवाद विरोधी अभियानों में बड़ी संख्या में तैनात हैं और इससे पहले वे भारतीय वायुसेना तथा राष्ट्रीय तकनीकी शोध संगठन (एनटीआरओ) के यूएवी का इस्तेमाल करते रहे हैं. बहरहाल, घने जंगली इलाकों को भेदने की उनकी सीमित क्षमता के कारण वायुसेना ने उन्हें वहां से हटा लिया है.
भारतीय वर्षा वनों को भेदने में सक्षम यूएवी सेंसरों के विकास पर उन्होंने कहा, ‘भारतीय उष्णकटिबंधीय वनों की सघन पत्तियों को भेद पाने में सक्षम कोई प्रौद्योगिकी अभी उपलब्ध नहीं है.’ चंदर ने कहा, ‘हम कम तीव्रता वाले रेडार पर काम कर रहे हैं जो सघन पत्तियों को भेदने में सक्षम होगी. दो-तीन साल के भीतर हमारे पास इसका समाधान होगा.’ ‘अर्जुन मार्क-टू’ के परीक्षण पर नवीनतम जानकारी देते हुए डीआरडीओ प्रमुख ने कहा, ‘परीक्षण पूरे कर लिये गये हैं. मिसाइल प्रणाली को लेकर थोड़ी समस्याएं हैं जिसे सुधार लिया जायेगा.’ ‘अर्जुन मार्क-टू’ स्वदेशी मुख्य युद्धक टैंक का अत्याधुनिक संस्करण है.