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उरी के हमलावर दो जगह पर बाड़ काटकर घुसे थे,लश्कर से जुडे थे: जांच

उरी : जांच अधिकारियों के अनुसार उरी सेक्टर में रविवार को सैन्य शिविर में घुसकर हमला करने वाले और 18 जवानों की जान लेने वाले चार आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा के थे और उच्च सुरक्षा वाले सैन्य शिविर के चारों ओर लगी बाड को दो जगहों से काटकर अंदर घुसे थे. जांच से जुडे सूत्रों ने आज […]

उरी : जांच अधिकारियों के अनुसार उरी सेक्टर में रविवार को सैन्य शिविर में घुसकर हमला करने वाले और 18 जवानों की जान लेने वाले चार आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा के थे और उच्च सुरक्षा वाले सैन्य शिविर के चारों ओर लगी बाड को दो जगहों से काटकर अंदर घुसे थे. जांच से जुडे सूत्रों ने आज कहा कि हमलावरों ने रसोई और भंडार कक्ष को बाहर से बंद कर दिया था ताकि जवान बाहर नहीं आ सकें. उसके बाद आग लगा दी .

इससे संकेत मिलता है कि आतंकवादी नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास सेना के शिविर के नक्शे से भलीभांति वाकिफ थे. सूत्रों के अनुसार जांचकर्ता सैन्य शिविर में घुसपैठियों के सटीक हमले के मद्देनजर आतंकवादियों को ‘आंतरिक मदद’ की संभावना को खारिज नहीं कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार हमलावरों ने पहले दो जगहों पर बाड को काटा था.उन्होंने बताया कि रसोई और भंडार कक्ष को बंद करने के बाद दो आतंकवादी सैन्य शिविर में स्थित अधिकारी आवासों की ओर बढने लगे लेकिन वे और कोई बडा नुकसान पहुंचाते, इससे पहले ही उन्हें मार गिराया गया.

मारे गये आतंकवादियों से दो ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) सेट मिले हैं जो हमले के दौरान क्षतिग्रस्त हो गये थे. उन्हें मामले की जांच कर रही एनआईए को सौंप दिया गया है. सूत्रों ने कहा कि हमले से एक दिन पहले पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से घुसपैठ करने वाले चारों हमलावर लश्कर से जुडे थे क्योंकि उनका हमला उसी तरह का था जिस तरह का गत 11 सितंबर को पुंछ में पाकिस्तान के इसी आतंकवादी संगठन के आतंकियों ने किया था जो बाद में मारे गये थे.

सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने हमले के कुछ घंटे बाद संवाददाताओं से कहा था कि शुरुआती रिपोटोंर् के मुताबिक मारे गये आतंकवादी जैश-ए-मोहम्मद के थे. यह भी पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन है.लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा था, ‘‘चारों मारे गये लोग विदेशी आतंकवादी थे और अपने साथ जो सामान लाये थे उन पर पाकिस्तान की मार्किंग थीं.” सूत्रों के अनुसार उरी और पुंछ दोनों ही जगहों पर आतंकवादी छोटी प्लास्टिक बोतलें लेकर आये थे जिनमें पेट्रोलियम जेली और जिलेटिन का मिश्रण था. जवानों के तंबुओं में आग लगाने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया.

कश्मीर में 27 साल में सेना पर हुए सबसे घातक हमले की जांच कर रहीं अनेक खुफिया एजेंसियों का मानना है कि हमला लश्कर-ए-तैयबा का कार्य हो सकता है.एनआईए ने उरी में सैन्य केंद्र पर आतंकी हमले की जांच के लिए कल एक मामला दर्ज किया था.एनआईए ने जम्मू कश्मीर पुलिस से जांच संभाली. जम्मू कश्मीर पुलिस ने रविवार को एक मामला दर्ज किया था और उरी में सैन्य केंद्र पर उपलब्ध साक्ष्यों को एकत्रित करने के साथ जांच शुरु की.

एनआईए के महानिरीक्षक जी पी सिंह की अगुवाई में एक टीम कल यहां पहुंची थी और तब से डेरा डाले है. एनआईए की यह टीम चारों अज्ञात आतंकवादियों के डीएनए नमूने इकट्ठे करेगी और उनकी तस्वीरें राज्य में तथा देश के अन्य हिस्सों में विभिन्न जेलों में बंद आतंकवादियों को दिखाई जाएंगी.एनआईए टीम एक डॉजियर तैयार करेगी और चारों की पहचान का पता चलने पर पाकिस्तान से औपचारिक अनुरोध कर सकती है. सेना ने भी मामले में प्रारंभिक जांच के साथ हमले के बारे में पडताल शुरु की है. प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि आतंकवादी हमले से कम से कम एक दिन पहले इलाके में घुस आये थे.

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