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कावेरी मामला: बेंगलुरु में पुलिस मुस्तैद, शरारती तत्वों की खैर नहीं, जानें क्या है विवाद

बेंगलुरु : कावेरी नदी के पानी बंटवारे को लेकर कर्नाटक में बवाल थम नहीं रहा है. इस विवाद को लेकर बेंगलुरु समेत कर्नाटक के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन हुए जिसमें एक शख्‍स की जान चली गई. आज शहर को शांत रखने के लिए पुलिस ने कई अहम कदम उठाये हैं. बेंगलुरु में कानून-व्यवस्था बनाए […]

बेंगलुरु : कावेरी नदी के पानी बंटवारे को लेकर कर्नाटक में बवाल थम नहीं रहा है. इस विवाद को लेकर बेंगलुरु समेत कर्नाटक के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन हुए जिसमें एक शख्‍स की जान चली गई. आज शहर को शांत रखने के लिए पुलिस ने कई अहम कदम उठाये हैं. बेंगलुरु में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आरपीएफ की टुकड़ियां सिटी पुलिस की मदद करेंगी.

पुलिस की ओर से आज जानकारी दी गई कि बेंगलुरु में केएसआरपी और क्विक रिएक्शन टीम को तैनात किया गया है. धारा 144 लागू की गई है. बेंगलुरु पुलिस ने कहा है कि सुरक्षा के सभी आवश्यक इंतजाम किए गए हैं. आपात स्थिति में 100 नंबर पर कॉल करें. बेंगलुरु में 15,000 पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को तैनात किया गया है. 270 होयसल वाहन को भी यहां तैनात किया गया है.

पुलिस ने कहा कि बेंगलुरु में स्थिति आज बिल्कुल सामान्य है. शरारती तत्वों और अव्यवस्था फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया कावेरी के मसले पर सुबह 11 बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई है, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे.कर्नाटक के कानून मंत्री टीबी जयचंद्र ने कहा है कि इस समय कानून व्यवस्था को व्यवस्थित बनाए रखने की जरूरत है, कर्नाटक के किसानों के हितों के मुताबिक सभी सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं.

पुलिस ने सभी केबल टीवी नेटवर्क ऑपरेटर्स के लिए अडवायजरी जारी की है. उनसे कहा गया है कि वे बेंगलुरु प्रदर्शन को लेकर ऐसा कोई कार्यक्रम न दिखाएं जिससे कानून-व्यवस्था प्रभावित हो. इधर, एआइएडीएमके नेता सीआर सरस्वती ने कहा है कि कावेरी हमारी है, हमारे पास सारे अधिकार हैं, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कर्नाटक को आदेश मानना होगा.

उधर,कर्नाटक और तमिलनाडु की हिंसा से केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी हरकत में आ गए हैं. उन्होंने इस मामले को लेकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्र‍ियों से सोमवार को बात की. गृह मंत्री ने दोनों राज्यों को केंद्र की तरफ से पूरी मदद का आश्वासन दिया है.

जानेंकावेरी विवाद

1. कावेरी नदी विवाद 19वीं शताब्दी में शुरू हुआ. उस वक्त यह विवाद मद्रास प्रेसिडेंसी और मैसूर के बीच था. 1924 में इन दोनों के बीच एक समझौता हुआ. लेकिन, बाद में इस विवाद में केरल और पांडिचेरी भी शामिल हो गये.

2. भारत सरकार द्वारा 1972 में बनायी गयी एक कमेटी की रिपोर्ट और विशेषज्ञों की सिफारिशों के बाद अगस्त, 1976 में कावेरी जल विवाद के सभी चार दावेदारों के बीच एक समझौता हुआ.

3. इसकी घोषणा संसद में भी की गयी, लेकिन उसका पालन नहीं हुआ. जुलाई, 1986 में तमिलनाडु ने अंतर्राज्यीय जल विवाद अधिनियम (1956) के तहत इस मामले को सुलझाने के लिए केंद्र से एक न्यायाधिकरण का गठन किया जाने का निवेदन किया. तब से इसे सुलझाने के कई प्रयास हुए हैं.

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