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उग्रवादी समूहों के बीच बढ़ता समन्वय भारत के लिए खतरा

नयी दिल्ली : इंटरनेट का बढ़ता उपयोग, बदलते तरीके जैसे भीड़भाड़ वाली जगहों पर हमले, पढ़े-लिखे युवाओं की भर्ती और भारतीय उप महाद्वीप में कई आतंकवादी समूहों की समन्वित गतिविधियों ने देश की सुरक्षा के सामने गंभीर चुनौती पेश कर दी है. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई समर्थित आतंकवादी संगठनों से लेकर क्षेत्रीय गुटों और वामपंथी […]

नयी दिल्ली : इंटरनेट का बढ़ता उपयोग, बदलते तरीके जैसे भीड़भाड़ वाली जगहों पर हमले, पढ़े-लिखे युवाओं की भर्ती और भारतीय उप महाद्वीप में कई आतंकवादी समूहों की समन्वित गतिविधियों ने देश की सुरक्षा के सामने गंभीर चुनौती पेश कर दी है.

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई समर्थित आतंकवादी संगठनों से लेकर क्षेत्रीय गुटों और वामपंथी चरमपंथियों तक, क्षेत्र के ऐसे 39 गुटों का ब्यौरा देने वाली एक नई किताब में कहा गया है कि इनमें से ज्यादातर गुटों ने हथियारों की आपूर्ति तथा धन के लेनदेन में साझेदारी सहित अपनी गतिविधियों में समन्वय शुरु कर दिया है.

मिलिटेंट ग्रुप्स इन साउथ एशिया शीर्षक वाली किताब के अनुसार, भारत में और दूसरी जगहों पर आतंकवादी हमलों के तरीकों में बदलाव आया है. पहले हमले अलग-थलग किए जाते थे लेकिन बाद में लोगों के बीच दहशत फैलाने के लिए भीड़ वाली जगहों पर या सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों पर बम हमले किए जाने लगे.

इन्स्टीट्यूट फॉर डिफेन्स स्टडीज एंड एनालिसिस द्वारा पेश की गई इस किताब में कहा गया है कि क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ जंग के नाम पर दशकों से अंतरराष्ट्रीय प्रयास जारी हैं जो आतंकवाद के खतरे को रोकने में न केवल नाकाम रहे बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा हालात पर अपना असर डालने में सफल रहे.

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