नयी दिल्ली : राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के निवर्तमान अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला ने कहा है कि 1984 में सिख विरोधी दंगों के समय सरकार ध्वस्त हो गई थी और हिंसा उसकी ‘बहुत बड़ी नाकामी’ थी. हबीबुल्ला ने उन आरोपों को खारिज कर दिया कि कांग्रेस सरकार हिंसा में शामिल थी. वह दंगों के समय प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में बतौर अधिकारी कार्यरत थे.
उन्होंने कहा, ‘‘1984 में भारत सरकार ध्वस्त हो गई थी. प्रधानमंत्री (इंदिरा गांधी) की हत्या कर दी गई थी. वह मजबूत प्रधानमंत्री थीं. पीएमओ निष्क्रिय हो गया था। सरकार कामकाज नहीं कर रही थी. यह :दंगा: सरकार की बहुत बड़ी नाकामी थी। परंतु इसका एक कारण था. ऐसा नहीं है कि सिखों की हत्या को लेकर कोई साजिश रच रहा था.’’ हबीबुल्ला ने कहा कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद केंद्र सरकार इस तरह से अव्यवस्थित थी कि पीएमओ में सबसे वरिष्ठ अधिकारी के तौर पर वह रह गए थे क्योंकि दूसरे अधिकारी अंतिम संस्कार की तैयारियों में लगे हुए थे.
उन्होंने कहा कि सरकार में बैठे कुछ लोग ही राजधानी में दंगा भड़कने की आशंका को भांप पाए. यह पूछे जाने पर कि तत्कालीन सरकार ने दंगे को बढ़ाने का काम किया जैसा कि भाजपा और सिंख संगठन आरोप लगाते हैं तो हबीबुल्ला ने कहा, ‘‘बिल्कुल नहीं.’’