भुवनेश्वर : आदिम पहचान में जकड़ी मानसिकता छोड़कर नौजवानों को खुली सोच वाला इंसान बनने की सलाह देते हुए पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम ने आज कहा कि वैज्ञानिक तौर-तरीकों के जरिए तर्क एवं आधुनिक ज्ञान का इस्तेमाल करके तथा अंधविश्वास एवं असहिष्णुता का विरोध करके भारतीय समाज में सुधार लाने की जरुरत है.
स्वामी चिदानंद जन्म शतवार्षिकी महोत्सव को संबोधित करते हुए कलाम ने कहा, समय की मांग है कि भारतीय नौजवान दासता एवं आदिम पहचान में जकड़ी मानसिकता से बाहर निकलें और खुली सोच वाले मानव संसाधन के तौर पर विश्व समुदाय में अपनी जगह बनाएं.
अपने संबोधन में कलाम ने हाल ही में लिखी गयी अपनी किताब स्क्वेयरिंग दि सर्कल : सेवेन स्टेप्स टू इंडियन रेनेसॉ की कुछ पंक्तियों का भी हवाला दिया. धर्म एवं आध्यात्म से जुड़े लोगों को इस मिशन में अगुवाई करने के लिए प्रेरित करते हुए कलाम ने कहा, तर्क का इस्तेमाल कर, धर्म-जातीयता एवं जातियों की आदिम पहचान में जकड़ी मानसिकता को चुनौती देकर भारतीय समाज में सुधार लाना काफी जरुरी है.
वैज्ञानिक सोच, जांच-पड़ताल एवं बौद्धिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने तथा अंधविश्वास और असहिष्णुता का विरोध करने की जरुरत पर जोर देते हुए कलाम ने कहा कि युवा भारतीय पीढ़ी की बेहतरी के लिए काम करना हमारा दायित्व है.