नयी दिल्ली: प्याज जैसी सब्जियों की लगातार बढ़ रही कीमतों पर अंकुश के लिये एक वकील की उम्मीदों पर आज उस समय पानी फिर गया जब उच्चतम न्यायालय ने उसे सुझाव दिया कि कीमतों पर नियंत्रण के लिये कुछ महीने प्याज का सेवन बंद कर दिया जाये. न्यायमूर्ति बी एस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ […]
नयी दिल्ली: प्याज जैसी सब्जियों की लगातार बढ़ रही कीमतों पर अंकुश के लिये एक वकील की उम्मीदों पर आज उस समय पानी फिर गया जब उच्चतम न्यायालय ने उसे सुझाव दिया कि कीमतों पर नियंत्रण के लिये कुछ महीने प्याज का सेवन बंद कर दिया जाये.
न्यायमूर्ति बी एस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद वकील विष्णु प्रताप सिंह की जनहित याचिका खारिज कर दी. इस वकील का कहना था कि केंद्र सरकार खाद्य पदार्थो की कीमतों पर अंकुश लगाने में बुरी तरह विफल हुयी है.न्यायाधीशों ने याचिका खारिज करते हुये वकील से कहा कि आप दो महीने के लिये प्याज खाना बंद कर दें तो इसके दाम नियंत्रण में आ जायेंगे. न्यायाधीशों ने इस तरह की याचिका पर विचार से इंकार करते हुये कहा कि ऐसे मामले दायर करके न्यायालय का काम न बढ़ाया जाये.
याचिकाकर्ता का कहना था कि अनेक वस्तुओं की कीमतों पर अंकुश लगाने में सरकार की विपफलत समाज के गरीब और कमजोर तबके को उचित मूल्य पर खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने और जीने के अधिकार से वंचित कर रही है.याचिकाकर्ता का तर्क था कि खाद्य पदार्थो की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिये केंद्र सरकार आवश्यक वस्तु कानून 1955 लागू करने बुरी तरह विफल हुयी है और इसी वजह से प्याज, आलू और टमाटर जैसी बुनियादी संब्जियों की कीमतों में व्यापारी और कालाबाजारी करने वाले निरंतर वृद्धि कर रहे हैं. न्यायालय याचिकाकर्ता की दलीलों से संतुष्ट नहीं हुआ और उसने याचिका खारिज कर दी.