भोपाल: अभी दो माह पहले मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में शर्मनाक पराजय के बावजूद लगता है, कि इस प्रदेश में खेमेबाजी के लिए बदनाम कांग्रेस कोई सबक लेने को तैयार नहीं है और चौदहवीं विधानसभा में विपक्ष का नेता चुनने के लिए एक बार फिर उसके दिग्गज नेताओं के बीच तीखी खींचतान देखने […]
भोपाल: अभी दो माह पहले मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में शर्मनाक पराजय के बावजूद लगता है, कि इस प्रदेश में खेमेबाजी के लिए बदनाम कांग्रेस कोई सबक लेने को तैयार नहीं है और चौदहवीं विधानसभा में विपक्ष का नेता चुनने के लिए एक बार फिर उसके दिग्गज नेताओं के बीच तीखी खींचतान देखने को मिली है.
प्रदेश में कांग्रेस का अल्पसंख्यक चेहरा, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हॉकी के पूर्व ओलम्पियन असलम शेर खान ने कहा, ‘‘एक समय था, जब कांग्रेस ‘आम आदमी’ की पार्टी कहलाती थी, लेकिन पिछले कुछ दशकों से वह उससे दूर होती गई और अब वह सामंतों की जेब में चली गई है. ये लोग अब पार्टी के सभी महत्वपूर्ण पद हड़पना चाहते हैं’’.
उन्होंने कहा कि नवगठित विधानसभा में विपक्ष का नेता, जो कांग्रेस विधायक दल(सीएलपी)का नेता ही होता है और अन्य संबंधित पदों के चयन के लिए इन दिग्गज नेताओं ने जिस तरह की खींचतान मचाई, उससे लगता है, जैसे पार्टी ने पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में मिली, शर्मनाक पराजय से कोई सबक नहीं लिया है.हालांकि असलम ने पार्टी आलाकमान द्वारा वरिष्ठ विधायक सत्यदेव कटारे को विपक्ष का नेता बनाने का साहसिक निर्णय लेने की तारीफ करते हुए कहा कि आलाकमान ने जिस तरह ताकतवर ठाकुर एवं सामंत लाबी के इस पद के लिए किए जा रहे दावों और प्रतिदावों को दरकिनार किया, वह प्रशंसनीय है.