मुंबई : बबई उच्च न्यायालय ने लीलावती अस्पताल के ट्रस्टी प्रमोद मेहता को राहत देते हुए चैरिटी आयुक्त के कार्यालय को उनका नाम 13 जून तक ट्रस्टी रजिस्टर से न हटाने का आदेश दिया है.
संयुक्त चैरिटी आयुक्त (जेसीसी) ने पांच अप्रैल को प्रमोद मेहता को लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट के ट्रस्टी के तौर पर हटाने का आदेश दिया था. यह ट्रस्ट उपनगर बांद्रा में लीलावती अस्पताल चलाता है. प्रमोद मेहता ने जेसीसी के इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी जिसपर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति नितिन जामदार ने यह आदेश दिया.
जेसीसी ने प्रमोद मेहता की रिश्तेदार और ट्रस्टी चारुबेन मेहता की शिकायत के आधार पर उन्हें ट्रस्टी के तौर पर हटाया था. जेसीसी ने अपने आदेश में कहा था कि प्रमोद मेहता को हटाया जा रहा है क्योंकि उन्हें बेल्जियम में नैतिक अधमता का दोषी पाया गया है.
प्रमोद मेहता ने इसके खिलाफ एक सिविल अदालत में याचिका दायर की थी लेकिन अदालत ने जेसीसी के पांच अप्रैल के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. इसके बाद प्रमोद मेहता ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिसने उन्हें अस्थायी राहत देते हुए मामले की अगली सुनवाई 13 जून तक जेसीसी के आदेश पर रोक लगा दी.
लीलावती अस्पताल के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी दिवंगत विजय मेहता के छोटे भाई प्रमोद मेहता 900 करोड़ रुपए की कीमत वाले अस्पताल के नियंत्रण को लेकर पारिवारिक विवाद में फंसे हुए हैं.
अदालत ने प्रमोद मेहता को अस्थायी राहत देने के साथ यह भी निर्देश दिया है कि वह ट्रस्ट के किसी भी बैंक खाते का संचालन नहीं करेंगे और आर्थिक मामलों से संबंधित कोई भी निर्णय लेने की प्रक्रिया में पक्ष नहीं होंगे.