नयी दिल्ली : नीदरलैंड ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पटना समाहरणालय (कलेक्ट्रेट) का परिसर ना गिराने की अपील की है. यह इमारत बिहार की राजधानी में नीदरलैंड के इतिहास की आखिरी निशानियों में से एक है. नीदरलैंड ने साथ ही बिहार सरकार से सदियों पुरानी इस इमारत परिसर को राज्य पुरातत्व विभाग के तहत सूचीबद्ध करने की मांग की.
भारत में नीदरलैंड के राजदूत अलफोंसस स्टोलिंगा ने नीतीश को एक पत्र लिखकर गंगा के किनारे स्थित इन पुरानी इमारतों का समय के अनुरुप नया इस्तेमाल करने की सलाह दी. उन्होंने पत्र में लिखा, ‘‘मैंने खबरें पढीं कि भारत और नीदरलैंड की इस साझा विरासत को किसी भी समय गिराया जा सकता है.’
स्टोलिंगा ने कहा, ‘‘मेरा दिल से मानना है कि भारत-नीदरलैंड के इतिहास के प्रतीक इस धरोहर इमारत का नवीनीकरण किया जा सकता है और वैकल्पिक इस्तेमाल की योजना बनायी जा सकती है. मैं राज्य पुरातत्व विभाग के नियमों के तहत इमारत परिसर को सूचीबद्ध करने की अपील करने के लिए आपको यह पत्र लिख रहा हूं.’ पटना की असरंक्षित धरोहर इमारतों की संवेदनशीलता को रेखांकित करते हुए धरोहर संगठन आईएनटीएसीएच और प्रसिद्ध इतिहासकारों, वास्तुकारों एवं पूर्व न्यायाधीशों सहित सिविल सोसाइटी सदस्यों ने भी गत छह अप्रैल को नीतीश से इमारत को गिराने की बजाए उसका नवीनीकरण करने की अपील की थी.
पटना समाहरणालय, पटना कॉलेज की मुख्य प्रशासनिक इमारत और गुलजारबाग इलाके में स्थित अफीम के गोदाम के अवशेष शहर में नीदरलैंड के इतिहास की आखिरी निशानियां हैं. पटना पुराने समय में अफीम के व्यापार के प्रमुख केंद्रों में से एक था और नीदरलैंड ने गंगा के किनारे कारखाने और गोदाम बनाए थे. नीदरलैंड सरकार ने अपने पत्र में एनआईटी-पटना और बिहार सरकार को धरोहर इमारतों के ‘अनुकूल पुन: इस्तेमाल’ के विषय पर क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को लेकर एक सहयोगपूर्ण परियोजना पर काम करने की भी पेशकश की.
स्टोलिंगा ने कहा कि इस तरह के सहयोगपूर्ण कार्यक्रमों से दोनों पक्षों में आदान प्रदान के रास्ते खुलेंगे और साझा विरासत की बेहतर समझ का भी विकास होगा.