नयी दिल्ली: राज्य में विधानसभा सीटों की संख्या बढ़ाने का मामला जोर पकड़ता जा रहा है. इस सिलसिले में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से बातचीत करने के लिए समय मांगा है. कांग्रेस चाहती है कि अगले विस चुनाव से पहले सीटों की संख्या में इजाफा कर दिया जाये. इसके लिए जो भी कानूनी प्रक्रिया हो , उसे समय से पूरा किया जा सकता है.
प्रभात खबर से खास बातचीत में जयराम ने भाजपा पर जम कर निशाना साधा. कहा : वर्तमान परिस्थिति के लिए भाजपा जिम्मेवार है. जब झारखंड का गठन हुआ था, उस समय केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार थी. केंद्र में झारखंड गठन के बाद पूरे चार साल तक भाजपा सत्ता में रही. भाजपा के दो-दो मुख्यमंत्री रहे. गठन के बाद भाजपा लंबे समय तक राज्य में सत्ता में रही, लेकिन इस दिशा में कुछ नहीं किया. यदि उसे झारखंड की जनता की परवाह होती, तो इस दिशा में वह सकारात्मक कदम उठाती. यह पूछे जाने पर कि चुनाव आयोग की डीलिमिटेशन कमेटी ने 2026 तक सीटों की संख्या को फ्रीज कर रखा है. उन्होंने कहा कि झारखंड इतने दिनों तक इंतजार नहीं कर सकता है.
जयराम ने कहा कि यह देख कर उन्हें आश्चर्य के साथ निराशा हो रही है कि झारखंड के आसपास की आबादी वाले राज्यों में विधानसभा की सीटें और अखिल भारतीय सेवाओं के लिए अधिकारियों का सेक्शन स्ट्रेंथ ज्यादा है, जबकि झारखंड में उन राज्यों के मुकाबले अधिकारी कम हैं. दूसरे राज्यों की तुलना करें, जिनकी आबादी तीन से साढ़े तीन करोड़ के आसपास है, उन राज्यों से झारखंड विधानसभा का स्ट्रेंथ कम है.
इस कारण वहां अफसर भी कम हैं. यह बात सही है कि 10-12 अफसर दिल्ली में दस वर्षो से बैठे हैं, लेकिन जो सेंक्शन स्ट्रेंथ है वह झारखंड में कम है. मुङो आश्चर्य है कि यह सब भाजपा के शासन में हुआ है. आखिर अगले साल दिसंबर से पहले विधानसभा की सीटों की संख्या में इजाफा करना संभव होगा के जबाव में जयराम ने कहा कि किसी भी काम को करने के लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी इस मामले पर एक सर्वदलीय शिष्टमंडल लाकर प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से मुलाकात करनी चाहिए. कांग्रेस पार्टी विधानसभा में सीटों की संख्या बढ़ाने के पक्ष में है और इसे एक अभियान के तौर पर चलायेगी. जयराम ने यह भी कहा कि हमारे मित्र सुदेश महतो विशेष राज्य का दरजा के लिए अभियान चला रहे हैं, लेकिन राज्य का असली हित तो सीटों की संख्या और अफसरों की संख्या बढ़ाने से सधेगा. जयराम ने कहा कि गृह मंत्री राज्य की परिस्थितियों और जरूरत को देखते हुए चुनाव आयोग से अनुरोध कर सकता है.
उसके बाद चुनाव आयोग इस मसले पर विचार कर सकता है. इस मसले पर वह गृह मंत्री से मुलाकात कर सारी स्थिति से अवगत करायेंगे. जयराम ने साफ तौर पर कहा कि चुनाव आयोग की ओर से जो भी कहा गया हो, लेकिन इतना तय है झारखंड 2026 तक सीटों की संख्या बढ़ाने को लेकर इंतजार नहीं कर सकता.गौरतलब है कि झारखंड में अखिल भारतीय सेवा में डायरेक्ट रिक्रूटमेंट पोस्ट 145 है. प्रमोशन सीट 63 है. कुल 208 सीटे हैं. जिसमें से डायरेक्ट रिक्रूटमेंट 99 और प्रमोशन से भरी गयी सीटें 25 हैं. यानि 208 के स्ट्रेंथ में से मात्र 124 अधिकारी झारखंड में हैं. यानि लगभग 50 फीसदी अधिकारियों की कमी है.
दूसरे राज्यों से तुलना करें, तो केरल में डायरेक्ट रिक्रूटमेंट सीट 149 है. जबकि प्रमोशन सीट 65 है. कुल 214 सीटों में से 110 डायरेक्ट रिक्रूटमेंट तथा 44 प्रमोशन से है. यानि 154 अधिकारी केरल में हैं. इसी तरह से हरियाणा में डायरेक्ट रिक्रूटमेंट से 143 तथा प्रमोशन से 62 है. कुल स्ट्रेंथ 205 है. इसमें से 129 डायरेक्ट रिक्रूटमेंट तथा 37 प्रमोटेड है. इस तरह से 166 अधिकारी इस राज्य में है. पंजाब में डायरेक्ट रिक्रूटमेंट 154 तथा प्रमोशन पोस्ट 67 है. कुल 221 के स्ट्रेंथ में 126 डायरेक्ट रिक्रूटमेंट से आये हैं, जबकि 55 प्रमोशन से. इस तरह से अभी 181 अधिकारी पंजाब में काम कर रहे हैं. इन सभी राज्यों की जनसंख्या झारखंड के आसपास या इससे कम है. इसीलिए विस सीटों को बढ़ाना राज्य के हित में जरूरी है.