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कोर्ट के आदेश पर खुला गुमनामी बाबा का पिटारा

फैजाबाद : नेताजी सुभाषचंद्र बोस के गुमनामी बाबा होने की बात एक बार फिर चर्चा में है. फैजाबाद के डीएम योगेंद्र राम मिश्रा ने बताया है कि गुमनामी बाबा के पिटारे में कुल176 आइटम मिले हैं. इनमें एक गोल फ्रेम का ठीक वैसा चश्मा है, जैसा नेताजी पहनते थे. साथ ही पिटारे से एक रोलेक्स […]

फैजाबाद : नेताजी सुभाषचंद्र बोस के गुमनामी बाबा होने की बात एक बार फिर चर्चा में है. फैजाबाद के डीएम योगेंद्र राम मिश्रा ने बताया है कि गुमनामी बाबा के पिटारे में कुल176 आइटम मिले हैं. इनमें एक गोल फ्रेम का ठीक वैसा चश्मा है, जैसा नेताजी पहनते थे. साथ ही पिटारे से एक रोलेक्स घड़ी मिली है. यह घड़ी भी ठीक वैसी ही है जैसी घड़ी नेताजी अपनी जेब में रखते थे. शुक्रवार को उनका पिटारा 10 मेंबर एडिमिनिस्ट्रेडिव कमेटी ने खुलवाया. यह पूरी कवायद इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच के ऑर्डर से की जा रही है. इस पिटारे को उनकी मौत के बाद यहां ट्रेजरी में रखा गया था. उनके पिटारे से कुछ लेटर मिले हैं, जो नेताजी के फैमिली मेंबर ने लिखे हैं. साथ ही नेताजी पर लिखे कुछ न्यूज पेपर कटिंग और आजाद हिंद फौज का यूनिफार्म मिला है. इन सामानों को जल्दी ही सार्वजनिक किया जायेगा.

पिटारे में क्या-क्या मिला?

गुमनामी बाबा के पिटारे से सुभाष चंद्र बोस के परिवार की तसवीरेंऔर कोलकाता में हर साल 23 जनवरी को मनाये जानेवाले नेताजी जन्मोत्सव की तसवीरें भी हैं. सैंकड़ों टेलीग्राम, जिन्हें गुमनामी बाबा उर्फ भगवानजी के नाम पर भेजा गया था. हाथ से बने हुए मैप, जिनमें उस जगह को दिखाया गया था, जहां कहा जाता है नेताजी की प्लेन क्रैश हुई थी. आजाद हिंद फौज की इंटिलजेंस यूनिट के चीफ पवित्र मोहन रॉय के लिखे गये कॉन्ग्रैट्‌ज मैसेज. जमर्न, जापानी और अंग्रेजी लिटरेटर की ढेरों किताबें. इंडो-चाइना वॉर की किताबें, जिनके पन्नों पर कमेंट लिखे गये हैं. सुभाष चंद्र बोस की मौत की जांच पर बनेशाहनवाज और खोसला कमीशन की रिपोर्ट.

कौन थे गुमनामी बाबा?

फैजाबाद जिले में रहनेवाले एक योगी पहले भगवानजी और बाद में गुमनामी बाबा नाम से जाने जाते थे. मुखर्जी कमीशन ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फैजाबाद के भगवनजी या गुमनामी बाबा और नेताजी सुभाष चंद्र बोस में काफी समानताएं थीं. 1945 से पहले नेताजी से मिल चुके लोगों ने गुमनामी बाबा से मिलने के बाद माना था कि वही नेताजी थे. दोनों का चेहरा काफी मिलता जुलता था. रिपोर्ट में कहा गया है कि 23 जनवरी को नेताजी के जन्मदिन और दूर्गा पूजा के अवसर पर कुछ लोग उनसे मिलने आते थे.

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