कोर्ट ने छह हफ्तों में सरकार और मंदिर बोर्ड को जवाब देने के लिए कहा है. साथ ही कोर्ट ने पूछा मंदिर में महिलाओं को प्रवेश कब से बंद है और क्यों. इसका इतिहास क्या है. कोर्ट यह देखना चाहता है कि स्वतंत्रता का अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में रोक कहां तक जायज है. कोर्ट ने कहा, मंदिर एक धार्मिक स्थल है और इसे तय पैमानों के आधार पर होना चाहिए.
इधर मंदिर बोर्ड इस परंपरा पर अड़ी हुई है कि महिलाओं का प्रवेश मंदिर में ही नहीं बल्कि पूरे सबरीमाला पर्वत पर भी है. यह लगभग एक हजार वर्षों से परंपरा चली आ रहा है. इसे तोड़ना जायज नहीं है.
* केरल सरकार मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदीके समर्थन में
केरल सरकार सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी के समर्थन में है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर बैन एक धार्मिक मामला है और श्रृद्धालुओं की धार्मिक भावना की रक्षा करना सरकार का पूरा अधिकार है. केरल सरकार ने कहा, मंदिर में पूजा के मामले में पुजारियों का निर्णय अंतिम है.
* आखिर क्यों है सबरीमालामें महिलाओं के प्रवेश पर रोक
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर मामला गर्म हो चुका है. एक ओर महिलाएं इस बात को लेकर आंदोलन कर रही हैं वहीं मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. अगर सदियों पुरानी परंपरा की बात करें तो आश्रम परंपरा के अनुसार दुनियादारी की मोहमाया से बचने के लिए महिलाओं से दूरी बनायी जाती है और यही कारण है कि संत और महापुरुष ज्ञान प्राप्ति के लिए गृहस्थी का त्याग करते हैं. इस परंपरा का पालन बौद्ध से लेकर जैनी तक करते आये हैं.
बात सबरीमाला मंदिर की करें तो यहां के आराध्य देव भगवान विष्णु और शिव के बेटे हैं. इसी लिए यहां हरि-हरि सुत का नाम जपा जाता है. हालांकि मान्यता के आधार पर हरि-हरि सुत भगवान विष्णु के मोहनी रूप के संतान हैं और मोहनी ने इसके लिए गर्भधारण नहीं किया था और यही कारण है कि उन्हें अयोनिजा कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि मोहनी के बेटे को लालन-पालन राजा पंडालम ने किया था. बड़े होकर उस वीर बालक ने महिषी राक्षसी का वध किया था. वहीं महिषी जिसके भाई का वध मां दुर्गा ने किया था.
कहा जाता है कि हरि-हरि सुत की वीरता को देखकर एक महिला निला उनसे शादी करने की इच्छा जतायी, लेकिन हरि-हरि ने शादी से इनकार कर दिया. क्योंकि निला हरि-हरि सुत के गुरु की बेटी थी. हर-हरि सुत की सौतेली मां अपने बेटे को राजा बनाना चाहती थी और इसी करण से हरि-हरि सुत को जंगल जाकर शेर का दूध लाने को कहती हैं. ताकी हरि-हरि को शेर खा जाए और उनका बेटा राजा बन जाए. इस तरह की कथा में महिलाओं को एक नकारात्मक रूप में चित्रित किया गया है और इसलिए मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक परंपरा के अनुसार चली आ रही है.
* सबरीमालामें मुस्लिम ‘वावर6 की दरगाह भी है
सबरीमाला मंदिर में ऐसी कई मान्यताएं परंपरा से चली आ रही है. बताया जाता है कि आदिवासियों,शाक्त,वैष्णव,शैव यहां तक की मुस्लिमों को भी साथ लाने का प्रयास किया गया है. इसी परंपरा के अधार पर कहा जाता है सबरीमाला में मुस्लिम वावर की दरगाह भी है. इस दरगाह में काली मिर्च चढ़ावा में चढ़ाया जाता है.