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चुनावी हार के बाद लोकपाल पर बदला कांग्रेस का रुख : जेटली

नयी दिल्ली: भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस ने लोकपाल पर तीन साल तक अहंकारपूर्ण रवैया अपनाने के बाद अपनी गलती मानने का और समझौतापूर्ण रुख अख्तियार करने का फैसला किया है और इसकी वजह चुनाव में मिली हार के चलते राहुल गांधी के हावभाव में आया बदलाव है. जेटली ने कहा, ‘‘कल […]

नयी दिल्ली: भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस ने लोकपाल पर तीन साल तक अहंकारपूर्ण रवैया अपनाने के बाद अपनी गलती मानने का और समझौतापूर्ण रुख अख्तियार करने का फैसला किया है और इसकी वजह चुनाव में मिली हार के चलते राहुल गांधी के हावभाव में आया बदलाव है.

जेटली ने कहा, ‘‘कल भाषा, रुख और भाव-भंगिमा सबकुछ अलग थे. चुनाव में विफलता के बाद सबकुछ समझ में आ गया.’‘ उन्होंने आम आदमी पार्टी पर अन्य दलों के नेताओं का अपमान करने का आरोप लगाते हुए पार्टी को सलाह दी कि कांग्रेस से सबक लें और दिल्ली चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद अहंकार से बचें.

जेटली ने शनिवार को लोकपाल के संबंध में हुए राहुल गांधी के संवाददाता सम्मेलन का हवाला दिया जहां कांग्रेस उपाध्यक्ष ने राजनीतिक दलों से अनुरोध किया कि अपने मतभेदों को दरकिनार कर संसद में लोकपाल विधेयक पारित कराएं. जेटली ने राहुल पर निशाना साधते हुए कहा कि अब वह सुलह की भूमिका में आ रहे हैं.

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राहुल और उनके साथियों की भाव-भंगिमा बदली हुई नजर आ रही है और यह पिछले तीन साल में रहे उनके रुख से बिल्कुल विपरीत है जब उन्होंने अन्ना हजारे को लोकपाल विधेयक के समर्थन में अनशन पर बैठने से रोका था. आप के संदर्भ में जेटली ने कहा, ‘‘वे अन्य दलों के नेताओं का अपमान करते हैं. सोनिया गांधी और राजनाथ सिंह को भेजे उनके पत्र शिष्टता पूर्वक नहीं लिखे गये. आज तो वे अपने मार्गदर्शक रहे अन्ना को भी नहीं बख्श रहे.’‘

जेटली ने कहा, ‘‘राजनीतिक वर्ग के लिए यह सिखाने वाला अनुभव होना चाहिए.’‘उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने लोकसभा में जिस विधेयक को पेश किया था और ‘गेम चेंजर’ की भूमिका दी थी, वह अस्वीकार्य था और समूचे विपक्ष के विरोध के बावजूद उसे एकपक्षीय तरीके से पारित करा दिया गया.

जेटली ने कहा कि जब राज्यसभा में इसमें संशोधन का प्रयास किया गया तो आधी रात को सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी और बाद में प्रवर समिति ने सुझाव दिये जिन्हें करीब एक साल बाद संसद के समक्ष रखा गया. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र ही नेताओं को सत्ता में लाता है और सत्ता से बाहर का भी रास्ता दिखाता है. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अहंकार पतन का पहला संकेत हो सकता है. राजनीति में उंचा चढ़ने वाला उतरता भी है. आप पार्टी को इससे सीखना चाहिए. आज वे राजनीतिक विरोधियों को चुनौती देते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘जीत के बाद मर्यादा, शिष्टता और नम्रता बनाये रखना जरुरी है.’‘

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