नयी दिल्ली: सरकार ने आज संसद को बताया कि निवेशकों के 20,000 करोड़ रुपये लौटाने के मामले में बाजार नियामक सेबी को बांडधारकों के दावों तथा सहारा समूह की तरफ से उपलब्ध कराये गये आंकड़ों में विसंगतियां का पता लगा है.लोकसभा में एक सवाल के जवाब में वित्त राज्यमंत्री नमो नारायण मीणा ने कहा कि 29 नवंबर की स्थिति के अनुसार सेबी को 25.37 करोड़ रुपये लौटाने को लेकर 3,375 आवेदन प्राप्त हुए. इनमें से 3,254 आवेदनों के साथ बांड के मूल प्रमाणपत्र पासबुक भेजे गये. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पैसा लौटाने से पहले इसकी जांच करने की कोशिश की.
मंत्री ने कहा कि हालांकि, कई मामलों में निवेशकों द्वारा उपलब्ध कराये गये ब्यौरे के तथा सहारा की कंपनियों द्वारा उपलब्ध आंकड़ें मेल नहीं खाते.
मीणा ने खेद व्यक्त करते हुये कहा कि सेबी ने इस संबंध में सहारा समूह से स्पष्टीकरण मांगा लेकिन अब तक उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि भुगतान में गड़बड़ी नहीं हो इसलिये सेबी सहारा से बांडधारकों की पुष्टि करना चाहता था. सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रीएल एस्टेट कार्पो लि. और सहारा इंडिया हाउसिंग इनवेस्टमेंट कार्पो लिमिटेड द्वारा निवेशकों को 20,000 करोड़ रुपये की वापसी का मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है.