नयी दिल्ली, कोलकाताःपाकिस्तानी वायुसेना को 1971 की लड़ाई में जबर्दस्त झटका देने वाले मिग 21 लड़ाकू विमान के पहले संस्करणों में से एक बुधवार को इतिहास बन जाएगा. पश्चिम बंगाल के कलईकुंडा वायुसेना अड्डे पर आयोजित फेजिंगआउट समारोह में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एन ए के ब्राउन की मौजूदगी में अपनी आखिरी औपचारिक उड़ान भरेंगे.
वायुसेना की यहां जारी एक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘मिग.21 एफएल की गजर्ना अब वायुसेना में 11 दिसम्बर 2013 के बाद नहीं सुनायी देगी. उस दिन ये विमान इतिहास में दर्ज हो जाएंगे.’’ वायुसेना के आपरेशनल कनवजर्न यूनिट के पायलट चार मिग.21 एफएल विमानों को उड़ाएंगे और इस दौरान समारोह परेड में मौजूद ब्राउन उनकी सलामी लेंगे. इस दौरान मिग.27 एमएल और सुखोई-30 एमकेआई विमान भी विमानों को विदाई देने के लिए उड़ान भरेंगे जो 1965 और 1971 के भारत.पाकिस्तान युद्ध के गवाह बने.
सीमित संख्या के कारण मिग.21 विमानों ने 1965 के युद्ध में सीमित भूमिका निभायी लेकिन 1971 के युद्ध में इन विमानों ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. इन विमानों ने करगिल युद्ध में भी हिस्सा लिया था. इस बीच लगभगत दो दशक की देरी के बाद स्वदेश निर्मित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस इस महीने बेंगलूर में वायुसेना में शामिल कर लिया जाएगा.
डीआरडीओ ने एक बयान में कहा कि विकास के तहत इस विमान ने आज एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की जब उसने एक इंफ्रारेड निर्देशित हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल दागी जो बिल्कुल निशाने पर लगी और लक्ष्य को नष्ट कर दिया. रक्षा अधिकारियों ने कहा कि विमान का इनीशियल आपरेशनल क्लीयरेंस.दो 20 दिसम्बर को बेंगलूर स्थित होम बेस में होगा जिसके बाद इसे रक्षा मंत्री ए के एंटनी वायुसेना में शामिल कर लेंगे.