छत्तीसगढ के अंतागढ़ विधानसभा चुनाव में पिछले साल वर्त्तमान सीएम रमन सिंह के दामाद और पूर्व सीएम अजीत जोगी के बेटे के बीच पैसों का लेनदेन हुआ था. पैसे लेकर कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार चुनावी मैदान से हटा लिया था. यह खुलासा इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर में हुआ है. खबर के साथ इंडियन एक्सप्रेस ने एक ऑडियो टेप भी जारी किया है जिसमें रमन सिंह के दामाद पुनित गुप्ता, पूर्व सीएम अजीत जोगी और उनके बेटे अमित जोगी के बातचीत की रिकार्डिंग हैं.
इंडियन एक्सप्रेस का दावा है के पैसे देकर कांग्रेस के उम्मीदवार को मैदान से हटा दिया गया. बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में अंतागढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक विक्रम उसंडी संसद बन गये, जिसके बाद वह सीट खाली हो गयी. वहीं उपचुनाव में भाजपा ने अपना उम्मीदवार उठाया था जो काफी प्रभावशाली नहीं था. लेकिन वह सीट भाजपा और रमन सिंह के लिए इज्जत का सवाल बन गया था.
ऐसे में रमन सिंह के दामाद ने अजीत जोगी के बेटे के साथ बातचीत कर कांग्रेस के उम्मीदवार को मैदान से हटवाने का मामला सेट किया. आज ही जारी इंडियन एक्सप्रेस के टेप में यह खुलासा किया गया है कि चुनाव के काफी समय बीत जाने के बाद भी जब कांग्रेस के उम्मीदवार मंतूराम पवार को पैसे नहीं मिले तो उने बीच काफी बातचीत हुई. जारी किये गये टेप में अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी, सीएम रतन सिंह के दामाद पुनित गुप्ता के बीच बातचीत के अंश हैं.
साथ ही अजीत जोगी के विश्वासी फिरोज सिद्दीकी, मामले को सेट करने वाला अमीन मेनन, मैदान के बाहर निकल गये प्रत्यासी मंतूराम पवार और स्वयं पूर्व सीएम अजीत जोगी को बातचीत करते सुना जा सकता है.
अखबार और रिपोर्टर पर केश करुंगा : अजीत जोगी
इस टेप के जारी होने के बाद जब पूर्व सीएम अजीत जोगी के कुछ चैनलों ने बातचीत की तो उन्होंने कहा कि इंडियन एक्सप्रेस की ओर से उनसे पूछा गया था कि क्या इस टेप में उनकी आवाज है. उन्होंने तभी स्पष्ट कर दिया था कि उनकी ऐसी कोई बातचीत किसी से नहीं हुई है. इसके बावजूद भी इस बात को प्रचारित कर उन्हें और उनकी पार्टी को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. जोगी ने कहा कि अखबार और उसके पत्रकार के खिलाफ वे अवमानना का मामला दर्ज करवायेंगे.
टेप में मेरी आवाज नहीं : मंतूराम
2014 विधानसभा चुनाव के हाथ खींच लेने वाले कांग्रेस के उम्मीदवार मंतूराम पवार ने कहा कि टेप में उनकी आवाज नहीं है. उन्होंने पहले ही कहा था कि उनके पास चुनाव लड़ने के लिए काफी पैसे नहीं है, अगर पार्टी उन्हें आर्थिक मदद नहीं करेगी तो वे अपना नाम वापस ले लेंगे. इसी वजह से उन्होंने चुनाव से नाम वापस ले लिया था. इसके कोई सौदेबाजी नहीं हुई है. उन्हें बदनाम करने की साजिश की जा रही है.