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भारत में भ्रष्टाचार पाक से कम, श्रीलंका से ज्यादा

दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान की स्थिति सबसे खराब एक तरफ विकास, तो दूसरी तरफ भ्रष्टाचार. दुनिया में यह बीमारी जिस गति से बढ़ी है, वह चिंता का विषय है. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ओर से जारी ‘भ्रष्टाचार अवधारणा सूची 2013’ के मुताबिक राजनीतिक दलों, पुलिस व न्यायिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार दुनिया के लिए एक चुनौती है. […]

दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान की स्थिति सबसे खराब

एक तरफ विकास, तो दूसरी तरफ भ्रष्टाचार. दुनिया में यह बीमारी जिस गति से बढ़ी है, वह चिंता का विषय है. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ओर से जारी ‘भ्रष्टाचार अवधारणा सूची 2013’ के मुताबिक राजनीतिक दलों, पुलिस व न्यायिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार दुनिया के लिए एक चुनौती है. सूची में 177 देश शामिल हैं, जिसमें भारत 94 वें स्थान पर है.

नयी दिल्ली : किस कदर सत्ता का नशा, गोपनीय सौदे और रिश्वतखोरी सामाजिक ताने-बाने को नष्ट कर रहा है, इसका खुलासा ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने किया है. एजेंसी ने दुनिया के 177 देशों में भ्रष्टाचार की अवधारणा से जुड़ी सूची जारी की है, जिसमें भारत 36 अंकों के साथ 94 वें स्थान पर है. पाकिस्तान की स्थिति और बदतर हुई है,जो 28 अंकों के साथ 127 वें स्थान पर है. हालांकि श्रीलंका की स्थिति बेहतर हुई है, जो 37 अंक के साथ 91 वें स्थान पर है. दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान की स्थिति सबसे खराब बतायी गयी है, जो 8 अंकों के साथ 175 वें स्थान पर है.

पिछले साल भी इसकी यही स्थिति थी. चीन को 40 का स्कोर हासिल हुआ है. पिछले साल 39 अंक मिले थे. नेपाल की स्थिति भारत से खराब है, जो 31 अंकों के साथ 116 वें स्थान पर है.

बेहतर : म्यांमार, ब्रूनेई, लाओस, सेनेगल, नेपाल, एस्टोनिया, यूनान, लेसोथो और लातविया.

बदतर : सीरिया, गैंबिया, गिनी-बिसाऊ, लीबिया, माली, स्पेन, इरीट्रिया, मॉरीशस, यमन, ऑस्ट्रेलिया और आइसलैंड.

डेनमार्क-न्यूजीलैंड अव्वल : सूची में डेनमार्क और न्यूजीलैंड 91 अंकों के साथ सबसे कम भ्रष्टाचार वाले देश हैं. अफगानिस्तान, उत्तर कोरिया और सोमालिया इस साल सबसे कम 8 अंक लेकर सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार वाले देश के तौर पर सामने आये हैं.

बड़ी चुनौती : ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र खासकर राजनीतिक दलों, पुलिस और न्यायिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती है. एजेंसी का कहना है कि सार्वजनिक संस्थानों को अपने काम, अपने अधिकारियों और अपने निर्णयों के बारे में ज्यादा खुला होने की जरूरत है.

भ्रष्टाचार की जांच पड़ताल और उस पर कार्रवाई भी काफी कठिन काम है. एजेंसी ने चेतावनी दी है कि मौसम में बदलाव, आर्थिक संकट और भीषण गरीबी से निबटने के लिए भविष्य में उठाये गये कदमों को बढ़ते भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ेगा.

क्या है गणित : सूची के अनुसार 100 अंक वाले देश को लगभग भ्रष्टाचार मुक्त माना जाता है. जीरो का मतलब है कि तकरीबन भ्रष्ट. सूची में शामिल 177 देशों में से दो तिहाई अब भी 50 अंक से नीचे हैं.

भ्रष्टाचार अवधारणा सूची : ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार की अवधारणा के मुताबिक किसी देश या क्षेत्र का भ्रष्टाचार स्कोर और रैंक तय करती है. इसे सर्वेक्षणों, आंकड़ों की पड़ताल के बाद तैयार किया जाता है. फिलहाल किसी भी देश में भ्रष्टाचार को आंकने का कोई सुनिश्चित तरीका नहीं है, इसलिए इसे ‘अवधारणा सूची’ कहा जाता है. पिछले साल इस सूची में 176 देश शामिल थे. इस साल दक्षिणी सूडान को भी शामिल किया गया.

उठाने होंगे कदम : जी-20 जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को हवाला के पैसे पर रोक लगानी होगी, कॉरपोरेशन को ज्यादा पारदर्शी बनाना होगा और चुरायी गयी पूंजी की वापसी सुनिश्चित करनी होगी. कानूनी कमजोरियों को दुरुस्त करना होगा और राजनीतिक इच्छाशक्ति को मजबूत बनाना होगा.

‘‘सबसे अच्छा करने वाले देशों को देख कर लगता है कि कैसे पारदर्शिता जिम्मेदारी लाती है और भ्रष्टाचार को खत्म कर सकती है. फिर भी अच्छा प्रदर्शन करने वाले देशों में राज्य का कब्जा, अभियानों की वित्तीय मदद और बड़े सार्वजनिक ठेकों पर ध्यान न देने से बड़े भ्रष्टाचार का खतरा बना हुआ है.

हुगुएट लाबेल

चेयरमैन, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल

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