पेरिस :जलवायु परिवर्तन के मसौदे परभारत पूरी तरह संतुष्ट नहीं है.भारत ने इस संबंध में अपनी चिंता जाहिर करते हुएकहा, जलवायु परिवर्तन पर देशों के स्वैच्छिक संकल्प सहित उसकी कई चिंताओं को उस नये मसौदे में शामिल नहीं किया गया है जो ‘‘निर्णायक कदम का शुरुआती बिंदु’ है. वार्ताकारों ने पृथ्वी के तापमान में वृद्धि के खतरे से निपटने के लिए एक समझौते पर अथक कार्य किया है.
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जलवायु मसौदे पर भारत संतुष्ट नहीं: जावडेकर
पेरिस :जलवायु परिवर्तन के मसौदे परभारत पूरी तरह संतुष्ट नहीं है.भारत ने इस संबंध में अपनी चिंता जाहिर करते हुएकहा, जलवायु परिवर्तन पर देशों के स्वैच्छिक संकल्प सहित उसकी कई चिंताओं को उस नये मसौदे में शामिल नहीं किया गया है जो ‘‘निर्णायक कदम का शुरुआती बिंदु’ है. वार्ताकारों ने पृथ्वी के तापमान में वृद्धि […]
भारत ने यह भी कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित कर देने के लक्ष्य के लिए विकसित देशों को अपने उत्सर्जनों में भारी कटौती करनी होगी और विकासशील देशों को दी जाने वाली आर्थिक मदद ‘बढानी’ होगी. पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा ‘‘ मुझे इस बात पर जोर देना होगा कि अभीष्ट राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (आईएनडीसी) एक बडी नवीन खोज है और यह महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने वाली साबित हुई है.
इसने 186 से अधिक देशों की भागीदारी को समर्थ बनाया है. इसके बावजूद आईएनडीसी का मसौदे में जिक्र नहीं किया गया।’ जलवायु परिवर्तन पर ऐतिहासिक समझौते की समयसीमा से दो दिन पहले, कल नौ दिसंबर को वार्ताकारों ने नया और छोटा मसौदा जारी किया जिसमें सभी महत्वपूर्ण प्रगतियों और मतभेदों को शामिल किया गया है.
‘पेरिस आउटकम’ का पहला मसौदा दो दिवसीय मंत्रीस्तरीय गहन विमर्श के बाद तैयार किया गया है. इसे फ्रांस के विदेश मंत्री लॉरेंत फैबियस ने जारी किया। इस मसौदे पर अब 196 देशों द्वारा विचार किया जाएगा जिसके बाद ही अंतिम फैसले पर पहुंचेंगे. नये मसौदा का पाठ 48 पृष्ठों वाले पूर्ववर्ती संस्करण के मुकाबले बहुत छोटा, महज 29 पृष्ठों, का है जिसे वार्ता में शामिल सभी देशों को वितरित किया गया.
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