नयी दिल्ली : गुजरात का विवादास्पद जासूसी प्रकरण आज उच्चतम न्यायालय पहुंच गया. भारतीय प्रशासनिक सेवा के निलंबित अधिकारी प्रदीप शर्मा ने न्यायालय से न्यूज पोर्टल द्वारा प्रसारित आडियो टेप का संज्ञान लेने का अनुरोध किया और कहा कि इसमें इस बात के सबूत हैं कि राज्य सरकार ने कैसे उन्हें फर्जी मामलों में फंसाने का प्रयास किया था.
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गुजरात सरकार के वकील के आग्रह के परिप्रेक्ष्य में प्रदीप शर्मा से कहा कि इस मामले में हलफनामा दाखिल किया जाये. राज्य सरकार के वकील का कहना था कि रिकार्ड में तथ्य पेश किये जाने तक किसी प्रकार की मौखिक दलील की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए.
इस मामले में प्रदीप शर्मा के वकील प्रशांत भूषण ने शुरु में ही आडियो टेप का हवाला देते हुये कहा कि पिछली सुनवाई के बाद महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ है और इसलिए इस पर शीघ्र सुनवाई की आवश्यकता है. न्यायाधीशों ने प्रदीप शर्मा को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुये इस मामले को सुनवाई के लिये दिसंबर के प्रथम सप्ताह में सूचीबद्ध करने का आदेश दिया. दो खोजी पोर्टल कोबरापोस्ट और गुलेल ने 15 नवंबर को दावा किया था कि गुजरात के पूर्व गृह मंत्री और मोदी के भरोसेमंद अमित शाह ने किसी ‘साहब’ की ओर से एक महिला की गैरकानूनी तरीके से निगरानी करने का आदेश दिया था. इन पोर्टल ने अपने दावे के समर्थन में शाह और आईपीएस अधिकारी के बीच हुयी बातचीत के टेप जारी किये थे.
भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1984 बैच के अधिकारी शर्मा पर कच्छ जिले में 2008 में एक निजी फर्म को भूमि आबंटन में कथित अनियमितता करने सहित पांच आपराधिक मामले दर्ज हैं. शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्होंने मोदी के निजी जीवन का हवाला दिया था लेकिन 12 मई, 2011 को न्यायाधीश ने इस अंश को हटाने का निर्देश दिया जिसे स्वीकार कर लिया गया था.
शर्मा अंतिम बार भावनगर नगर निगम में तैनात थे. उन्होंने कच्छ भूकंप के पुनर्वास कार्यक्रम में कथित अनियमितताओं के आरोप में 6 जनवरी, 2010 को गिरफ्तार किया गया था. शर्मा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि मोदी सरकार ने उन्हें निशाना बना रही है क्योंकि उनके छोटे भाई आईपीएस अधिकारी कुलदीप शर्मा ने गोधरा दंगों के बाद से मोदी और अमित शाह की कारगुजारियों का पर्दाफाश किया था. शर्मा चाहते थे कि इन मामलों को सीबीआई के हवाले किया जाये. याचिका में आरोप लगाया गया था कि कुलदीप शर्मा को प्रभावित करने के इरादे से ही मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह उनका उत्पीड़न कर रहे हैं.