जोधपुर : राजस्थान उच्च न्यायालय ने आज जिला एवं सत्र अदालत को आसाराम और चार अन्य लोगों से जुड़े यौन शोषण मामले की कार्यवाही प्रतिदिन चलाने और सुनवाई जल्द से जल्द पूरी करने का निर्देश दिया.
अदालत ने राजस्थान सरकार को एक महीने के भीतर नाबालिग लड़की को तीन लाख रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया. अदालत ने इस मामले में सहआरोपी(छिंदवाड़ा स्थित गुरुकुल की वार्डन)संचिता गुप्ता उर्फ शिल्पी और(आसाराम के सेवादार) सवाराम हेठवारिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिये.
अभियोजन पक्ष के वकील महिपाल बिश्नोई ने जर्मन पर्यटक बलात्कार मामले की ओर अदालत का ध्यान आकर्षित किया जिसकी सुनवाई अदालत के सामने उपस्थिति के 16 दिन में पूरी हो गई. न्यायमूर्ति कंवलजीत सिंह अहलूवालिया ने निचली अदालत द्वारा आरोपपत्र पर संज्ञान लेने और आरोपियों के खिलाफ आरोप तय होने तक आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी.
उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को 16 नवंबर तक आरोप पत्र पर संज्ञान लेने का भी निर्देश दिया. पुलिस ने बुधवार को जिला एवं सत्र अदालत में आसाराम और चार अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था. अदालत ने उनकी न्यायिक हिरासत 16 नवंबर तक के लिए बढा दी थी जब आरोपों पर दलीलें शुरु होगी.