देहरादून : गढ़वाल हिमालय की उंची पहाड़ियों पर स्थित भगवान शिव के धाम केदारनाथ मंदिर और यमुनोत्री मंदिर के कपाट भैया दूज के पावन पर्व पर आज शीतकाल के लिये बंद कर दिये गये. श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह ने बताया कि विधिवत पूजा अर्चना के बाद आज सुबह आठ बजकर 30 मिनट पर प्रशासनिक और धार्मिक अधिकारियों की मौजूदगी में केदारनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिये बंद कर दिये गये.
द्वार बंद होते समय दस हजार फुट से अधिक की उंचाई पर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित मंदिर के प्रांगण में सर्द हवाओं के बावजूद सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु भी उपस्थित थे. शीतकाल के लिये कपाट बंद होने के बाद भगवान शिव की पूजा अब निकटवर्ती उखीमठ में स्थित मंदिर में होगी. वहीं, उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री मंदिर के कपाट आज दोपहर बाद एक बजकर 15 मिनट पर बंद कर दिये गये.
मंदिर सूत्रों ने बताया कि कपाट बंद होने के बाद देवी यमुना की डोली निकटवर्ती खरसाली गांव के लिये रवाना हो गयी जहां शीतकाल के दौरान उनकी पूजा की जायेगी.
गौरतलब है कि कल अन्नकूट के पर्व पर गंगोत्री मंदिर के कपाट भी शीतकाल के लिये बंद कर दिये गये थे. गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट अब श्रद्धालुओं के दर्शन के लिये अगले साल अक्षय तृतीया के दिन खुलेंगे. गढ़वाल हिमालय के चारधाम के नाम से मशहूर इन चार मंदिरों में से एक अन्य धाम बद्रीनाथ के कपाट 18 नवंबर को बंद होंगे. मध्य जून में आयी प्राकृतिक आपदा के कारण बीच में ही रुक गयी चारधाम यात्रागत अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही दोबारा शुरु हो पायी थी.
शीतकाल के दौरान उंची पहाड़ियों पर स्थित चारधामों के भीषण बर्फवारी और ठंड की चपेट में रहने के कारण हर साल यात्राबंद कर दी जाती है जो फिर अगले साल अप्रैल-मई में प्रारंभ होती है. गढ़वाल हिमालय की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाने वाली यात्रामें छह महीने के सीजन के दौरान लाखों श्रद्धालु आते हैं.