नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने अपने एक अहम फैसले में आज कहा कि नौकरशाहों को राजनीतिक आकाओं द्वारा दिए जाने वाले मौखिक आदेशों पर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए. न्यायालय ने इसके साथ ही नौकरशाहों के आये दिन होने वाले तबादलों की परंपरा को खत्म करने और उन्हें राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाने के लिए उनका तय कार्यकाल सुनिश्चित करने का सुझाव दिया है.
नौकरशाही के कामकाज में आमूलचूल सुधारों का सुझाव देते हुए न्यायाधीश के एस राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि संसद को अवश्य ही एक कानून बनाना चाहिए जो नौकरशाहों की नियुक्ति, तबादले तथा उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का नियमन कर सके.
नौकरशाही में गिरावट का मुख्य कारण राजनीतिक हस्तक्षेप को बताते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि नौकरशाहों को राजनीतिक नेताओं द्वारा दिये गये मौखिक आदेशों पर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए तथा नौकरशाहों को नेताओं की ओर से दिये गये सभी आदेशों पर कार्रवाई उनसे मिले लिखित संवाद के आधार पर करनी चाहिए.
पीठ ने यह भी कहा है कि एक नौकरशाह को एक तय न्यूनतम कार्यकाल दिये जाने से न केवल पेशेवराना अंदाज और प्रभावशीलता को प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि अच्छा प्रशासन भी कायम होगा. उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि केंद्र शासित प्रदेशों समेत केंद्र और सभी राज्य सरकारें नौकरशाहों को तय कार्यकाल उपलब्ध कराने के लिए तीन महीने के भीतर निर्देश जारी करें.