नयी दिल्ली : शिकायत निवारण व्यवस्था स्थापित करने समेत शीर्ष न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति की कोलेजियम प्रणाली में व्यापक पारदर्शिता लाने के लिए आज उच्चतम न्यायालय के समक्ष कई सुझाव पेश किए गए.
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कोलेजियम सिस्टम में पूर्ण बदलाव से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
नयी दिल्ली : शिकायत निवारण व्यवस्था स्थापित करने समेत शीर्ष न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति की कोलेजियम प्रणाली में व्यापक पारदर्शिता लाने के लिए आज उच्चतम न्यायालय के समक्ष कई सुझाव पेश किए गए. नियुक्ति की कोलेजियम प्रणाली में सुधार के लिए सुझावों के साथ ही योग्यता मापदंड, कोलेजियम के लिए एक सचिवालय की स्थापना […]
नियुक्ति की कोलेजियम प्रणाली में सुधार के लिए सुझावों के साथ ही योग्यता मापदंड, कोलेजियम के लिए एक सचिवालय की स्थापना तथा शिकायत निवारण व्यवस्था की स्थापना के मुद्दों को पेश किया गया. दो घंटे तक इस पर सुनवाई करने के बाद न्यायाधीश जे एस केहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सभी पक्षों से पारदर्शिता, योग्यता , सचिवालय की स्थापना और कोलेजियम द्वारा शिकायत निवारण तंत्र को निर्मित करने पर अपने अपने सुझाव लिखित में पेश करने को कहा.
पीठ में न्यायाधीश जे चेलामेश्वर, एम बी लोकुर , कुरियन जोसफ तथा ए के गोयल भी शामिल थे. पीठ ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए गुरुवार का दिन तय किया. न्यायालय ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी, सालिसिटर जनरल रंजीत कुमार और वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल द्वारा पेश किए गए सुझावों को सुना जिन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान कोलेजियम सिस्टम के खिलाफ तर्क दिए थे.
शीर्ष अदालत ने 16 अक्तूबर को एनजेएसी को असंवैधानिक करार दिया था. एनजेएसी अधिनियम के खिलाफ सफलतापूर्वक तर्क पेश करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन , अनिल दीवान , राजीव धवन और अरविंद दतार समेत अन्य पक्षों ने भी अपने सुझाव दिए और कहा कि कोलेजियम सिस्टम के जरिए उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति में व्यापक पारदर्शिता की जरुरत है.
जजों द्वारा जजों की नियुक्ति के लिए दो दशक पुराने कोलेजियम सिस्टम के स्थान पर लाए गए 99वें संविधान संशोधन अधिनियम और एनजेएसी अधिनियम को रद्द करते हुए शीर्ष अदालत ने स्वीकार किया था कि इसमें अधिक पारदर्शिता और सुधार की जरुरत है.
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