नयी दिल्ली: टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में प्रधानमंत्री को क्लीन चिट देने वाली विवादास्पद जेपीसी रिपोर्ट मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को सौंपी जाएगी.
संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष पीसी चाको छह पार्टियों के द्वारा दिए गए असहमति नोट के साथ रिपोर्ट सौंपेंगे जिसने इसे विरोधाभासों का गट्ठर कहा है. इस रिपोर्ट को संसद के शीतकालीन सत्र में संसद के पटल पर रखे जाने की संभावना है जो दिसंबर के प्रथम हफ्ते से शुरु हो रही है. समझा जा रहा है कि चाको ने भाषा को दुरुस्त करने के लिए छह असहमति नोटों में पांच का .संपादन. करने में अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया है. उनके मुताबिक इसकी भाषा असंसदीय थी.
असहमति नोट प्राप्त किए गए तथ्यों पर सदस्यों की आपत्तियां दर्ज कराने का तरीका है और इसे अंतिम रिपोर्ट के साथ पटल पर रखे जाने के वक्त संलग्न किया जाता है. रिपोर्ट को बहुमत के आधार पर 27 सितंबर को स्वीकार किया गया. जदयू के दो सदस्य बैठक से गैर हाजिर थे. भाजपा के पांच और बीजद, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा, माकपा, अन्नाद्रमुक तथा द्रमुक के एक एक सदस्यों सहित विपक्ष के 11 सदस्यों ने जेपीसी रिपोर्ट के खिलाफ वोट दिया जिसमें तत्कालीन संचार मंत्री ए राजा पर प्रधानमंत्री को गुमराह करने और उनको दिए आश्वासन को झुठलाने का आरोप लगाया गया है.
अपनी असमति नोट में भाजपा ने कहा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम को जेपीसी के समक्ष बयान देना चाहिए. चाको ने कहा, ..सरकार को जेपीसी द्वारा प्राप्त किए गए तथ्यों पर कार्रवाई रिपोर्ट इसे स्पीकर को प्रस्तुत किए जाने के तीन महीने के अंदर पटल पर रखने को कहा जाना चाहिए.