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कानूनी विवाद में ज्यादा खर्च न्यायपालिका के समक्ष चुनौती

चंडीगढ़ : कानूनी विवादों में ज्यादा खर्च आने से गरीब लोग न सिर्फ न्याय पाने से वंचित रह जाते हैं बल्कि उच्च मध्यवर्गीय लोग भी इसका वहन करने में असमर्थ हैं. यह बात आज यहां केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कही और वकालत की कि देश में न्याय व्यवस्था प्रणाली को ज्यादा वहनीय बनाना होगा. […]

चंडीगढ़ : कानूनी विवादों में ज्यादा खर्च आने से गरीब लोग न सिर्फ न्याय पाने से वंचित रह जाते हैं बल्कि उच्च मध्यवर्गीय लोग भी इसका वहन करने में असमर्थ हैं. यह बात आज यहां केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कही और वकालत की कि देश में न्याय व्यवस्था प्रणाली को ज्यादा वहनीय बनाना होगा.

सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने यहां कहा, ‘‘हम बहुत विचित्र स्थिति में हैं कि इस देश में कानूनी खर्च काफी बढ़ता जा रहा है और इससे न केवल गरीब या वंचित लोग प्रभावित हैं बल्कि उच्च मध्य आय वर्ग के लोग या वेतन पाने वाले लोग भी इससे प्रभावित होते हैं.’’ लुधियाना के सांसद नवपंजीकृत वकीलों के लिए पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल की तरफ से कल रात आयोजित समारोह में बोल रहे थे.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अकसर मजाक करता हूं कि अगर मुङो अदालत जाना पड़े तो एक मंत्री के रुप में मुङो जो वेतन मिलता है उससे मैं सिद्धू की रोजाना फीस नहीं दे सकता (वह अपने वरिष्ठ वकील दोस्त अनमोल रतन सिद्धू का जिक्र कर रहे थे जो समारोह में मौजूद थे).’’ उन्होंने कहा कि ज्यादा कानूनी खर्च न्याय प्रणाली के समक्ष ‘‘बहुत बड़ी चुनौती’’ है. उन्होंने कहा, ‘‘अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि वह व्यथित है और मानता है कि उसे अदालत जाना चाहिए, वह सिर्फ इसलिए इस विकल्प को नहीं अपनाता कि इसका खर्च वहन नहीं कर सकता. मेरा मानना है कि यह न केवल लोकतंत्र के लिए बुरा दिन है बल्कि कानूनी पेशे के लिए भी ठीक नहीं है.’’ खुद ही वकील रहे तिवारी ने कानूनी पेशे के कई पहलुओं का जिक्र किया.

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