नयी दिल्ली : राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने केंद्र और दिल्ली सरकार, पुलिस प्रमुख और आसाराम के ट्रस्ट को एक याचिका पर आज नोटिस जारी किया. इस याचिका में प्रवचनकर्ता द्वारा यहां रिज क्षेत्र में निर्मित कथित अवैध आश्रम को गिराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.न्यायाधिकरण के अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने उस याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें आश्रम को ध्वस्त करने और संत श्री आसाराम जी ट्रस्ट के न्यासियों के खिलाफ फौजदारी कार्यवाही शुरु करने की मांग की गई है. पर्यावरण एवं वन मंत्रालय तथा शहरी विकास मंत्रालय, नगर निगमों और रिज प्रबंधन बोर्ड को भी नोटिस जारी किया गया.
यह आदेश संजय कुमार की याचिका पर दिया गया. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता गौरव बंसल ने पीठ से कहा कि आसाराम के ट्रस्ट ने अवैध तरीके से आश्रम और अन्य इमारतों का निर्माण सेंट्रल रिज क्षेत्र में किया है. ऐसा दिल्ली सरकार द्वारा मई 1994 में अधिसूचना जारी किए जाने के बावजूद किया गया है. रिज क्षेत्र को भारतीय वन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार ‘आरक्षित वन’ घोषित किया गया है.याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे हाल में मीडिया रिपोर्ट से पता चला कि आसाराम जी ट्रस्ट ने करोलबाग में सेंट्रल रिज में ‘अवैध आश्रम’ का निर्माण किया है.
उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि आठ साल पहले शहरी विकास मंत्रालय ने खुद कहा था कि ट्रस्ट ने सेंट्रल रिज के भीतर स्थित जमीन के बड़े हिस्से पर अवैध अतिक्रमण किया है. उन्होंने कहा कि संबद्ध अधिकारियों ने यहां तक कि ट्रस्ट को खाली करने का नोटिस दिया लेकिन वह व्यर्थ गया.याचिका में कहा गया है, ‘‘आम जनता के मन में इस बात की प्रबल आशंका है कि रिज प्रबंधन बोर्ड ने कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के खिलाफ भूमि के विकास की अनुमति दी है.’’गौरतलब है कि 72 वर्षीय आसाराम को अगस्त में बलात्कार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था और वह न्यायिक हिरासत में हैं. याचिका में यह भी कहा गया है कि रिज प्रबंधन बोर्ड ने करोड़ों रुपये के कोष का उपयोग नहीं किया है, जो राष्ट्रीय राजधानी में रिज क्षेत्र के संरक्षण के लिए थे.