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अटॉर्नी जनरल ने की लालू यादव को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश

नयी दिल्ली : दोषी ठहराए गए सांसदों लालू प्रसाद यादवऔर जगदीश शर्मा की अयोग्यता संबंधी अधिसूचना की प्रक्रिया पर अनिश्चितता को समाप्त करते हुए अटॉर्नी जनरल ने लोकसभा सचिवालय से सीटों को रिक्त घोषित करने की अधिसूचना तत्काल जारी करने के लिए कहा है. इस विषय पर दो सप्ताह में दूसरी बार अपनी राय जाहिर […]

नयी दिल्ली : दोषी ठहराए गए सांसदों लालू प्रसाद यादवऔर जगदीश शर्मा की अयोग्यता संबंधी अधिसूचना की प्रक्रिया पर अनिश्चितता को समाप्त करते हुए अटॉर्नी जनरल ने लोकसभा सचिवालय से सीटों को रिक्त घोषित करने की अधिसूचना तत्काल जारी करने के लिए कहा है.

इस विषय पर दो सप्ताह में दूसरी बार अपनी राय जाहिर करते हुए जी ई वाहनवती ने यह स्पष्ट किया कि अगर किसी सांसद को अदालत दोषी ठहराती है तो वह उसी दिन ही अयोग्य हो जाता है जिस दिन उसे दोषी ठहराया जाता है. इसी के साथ ही सीट रिक्त होने की घोषणा संबंधी अधिसूचना तत्काल जारी कर दी जानी चाहिए.

वाहनवती ने यह चेतावनी भी दी कि अधिसूचना जारी करने में विलंब का मतलब उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन नही करना हो सकता है. देश के शीर्ष विधि अधिकारी ने यह स्पष्ट किया कि अधिसूचना संबद्ध सदन द्वारा जारी की जानी चाहिए.

पूर्व में दी गई राय में वाहनवती ने कहा कि सांसद तत्काल अयोग्य घोषित हो जाता है. लेकिन उन्होंने अधिसूचना जारी करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पर कोई राय जाहिर नहीं की थी. लोकसभा सचिवालय ने प्रक्रिया पर स्पष्टीकरण के लिए फिर उनसे संपर्क किया था.

दूसरी ओर राज्यसभा सचिवालय कांग्रेस सांसद रशीद मसूद की सीट को रिक्त घोषित करने की प्रक्रिया में है. मसूद को भ्रष्टाचार के एक मामले में पिछले महीने ही दोषी ठहराते हुए चार साल की सजा सुनाई गई थी.वाहनवती ने यह स्पष्ट किया है कि दो साल से अधिक कारावास की सजा वाले अपराधों के लिए दोषी पाए गए सांसदों और विधायकों को तत्काल अयोग्य घोषित करने संबंधी 10 जुलाई को दिए उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद इस बात की कोई गुजाइंश नहीं बचती है कि भविष्य के काल्पनिक परिदृश्य के आधार पर कोई व्याख्या की जाए.

उन्होंने कहा, किसी अपील की सुनवाई करते हुए उपरी अदालत द्वारा दोष सिद्धि और सजा पर स्थगन लगाने का सवाल अभी की स्थिति में प्रासंगिक नहीं है. ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न होने पर उसका समाधान अलग से किया जा सकता है, लेकिन तत्काल तो अयोग्यता का कानून मौजूद है और इसे किसी भी कारण से टाला नहीं जा सकता.लोकसभा सचिवालय ने वाहनवती से पूछा था कि यदि कोई उच्च अदालत प्रसाद और शर्मा को राहत दे देती है तो आगे क्या करना है.

उच्चतम न्यायालय ने 10 जुलाई को लोक प्रतिनिधित्व कानून के उन प्रावधानों को खारिज कर दिया था जिनके तहत दोषी करार दिए सांसद या विधायक सजा पर स्थगन आदेश पाने के लिए उच्च अदालत में अपील दायर करने के लिए तीन महीने तक संसद अथवा विधानसभा के सदस्य बने रह सकते थे. इस आदेश के बाद तीन सांसद प्रसाद, शर्मा और मसूद भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी ठहराए गए हैं.

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