नयी दिल्ली : मध्य प्रदेश में कोयला ब्लॉक आवंटन में कथित अनियमितताओं से संबंधित एक मामले में एक विशेष अदालत ने आज पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और पांच अन्य के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश दिए. अदालत ने जिन लोगों के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश दिए हैं, उनमें गुप्ता के अतिरिक्त दो वरिष्ठ लोक सेवक- केएस क्रोफा और केसी समरिया, आरोपी फर्म कमल स्पोंज स्टील एंड पावर लिमिटेड (केएसएसपीएल), इसके प्रबंध निदेशक पवन कुमार अहलूवालिया और चार्टड एकाउंटेंट अमित गोयल शामिल हैं.
विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पराशर ने इन छह लोगों पर भादंसं की धाराओं- 120-बी (आपराधिक साजिश) 420 (धोखाधडी) के साथ पढा जाए, 409 (लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात) और भ्रष्टाचार निवारण कानून के संबंधित प्रावधानों के तहत आने वाले कथित अपराधों के लिए मुकदमा चलाने का आदेश दिया. अदालत ने आरोपियों के खिलाफ औपचारिक रुप से आरोप तय करने के लिए 14 अक्तूबर की तारीख निर्धारित की है.
मामला मध्यप्रदेश में केएसएसपीएल को थेसगोरा-बी रुद्रपुरी कोयला ब्लॉक आवंटन में कथित अनियमितताओं से जुडा है. क्रोफा उस समय कोयला मंत्रालय में संयुक्त सचिव थे, जबकि समरिया मंत्रालय में तत्कालीन निदेशक (कोयला आवंटन-1) खंड थे. अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार करने के बाद पिछले साल 13 अक्तूबर को इन लोगों को आरोपी के रुप में तलब किया था. अदालत ने आरोपियों को पूर्व में जमानत दे दी थी.
सीबीआई ने केएसएसपीएल, इसके अधिकारियों और अज्ञात लोगों के खिलाफ कोयला ब्लॉक हासिल करने के लिए तथ्यों को कथित तौर पर गलत रुप से पेश करने, निवल संपत्ति को बढा चढाकर पेश करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की थी. आरोप तय करने पर दलीलों के दौरान गुप्ता ने दावा किया था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केएसएसपीएल को कोयला ब्लॉक आवंटित करने के लिए ‘‘अंतिम मंजूरी’ दी थी.
सीबीआई ने उनके दावे को खारिज किया था और कहा था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री, जिनके पास उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार भी था, को ‘‘अंधेरे में रखा गया’ और यह तत्कालीन कोयला सचिव थे जिन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों को ‘‘गुमराह’ किया. अन्य आरोपियों के वकीलों ने कहा था कि मामले में उनके खिलाफ आरोप तय करने का आदेश देने के लिए रिकॉर्ड में कोई साक्ष्य नहीं है.