हैदराबाद : कोयला खदानों के आवंटन में साजिश तथा भ्रष्टाचार का आरोप झेल रहे पूर्व कोयला सचिव पी सी पारेख ने आज कहा कि इन मामलों में अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का था, ऐसे में उन्हें भी ‘साजिशकर्ता’ समझा जाना चाहिए.
उनके इस बयान के बाद भाजपा ने पूरे मामले की विस्तृत जांच की मांग की है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने ओड़िशा में आठ साल पहले दो कोयला खदानों के आवंटन में कथित अनियमितता के आरोप में उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, पारेख तथा अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
यहां सीबीआई अदालत में ताजा प्राथमिकी दर्ज करने के बाद एजेंसी की टीम ने मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद तथा भुवनेश्वर में करीब छह परिसरों की तलाशी ली. जिन परिसरों की तलाशी ली गयी है, उसमें हिंडालको के कार्यालय तथा हैदराबाद के सिकंदराबाद में पारेख का आवास शामिल हैं.
अपने खिलाफ आरोप को आधारहीन बताते हुए पारेख ने कहा कि उन्हें सरकार के निर्णय में कुछ भी गलती नहीं दिखती. पारेख ने कहा, ‘‘वास्तव में निर्णय लेने में कुछ भी गलत नहीं है. जो भी निर्णय किये गये वे निष्पक्ष तथा सही थे. मुझे नहीं पता कि आखिर सीबीआई को इसमें साजिश क्यों नजर आ रही है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई साजिश हुई है तब इसमें कई सदस्य शामिल हैं. इनमें के एम बिड़ला हैं जिन्होंने अर्जी लगाई थी. इसमें मैं भी हूं , जिसने मामले को देखा था और इसमें सिफारिश की थी, और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हैं जो उस समय कोयला मंत्री थे और जिन्होंने अंतिम निर्णय किया था, वह तीसरे साजिशकर्ता हुये.’’