नयी दिल्ली : मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन को 30 जुलाई को फांसी दे दी गयी. यह फांसी काफी विवादास्पद रही क्योंकि याकूब मेमन को फांसी दी जाये या नहीं इसपर विवाद हो गया था. कई लोगों ने राष्ट्रपति को याकूब मेमन के पक्ष में पत्र भी लिखा था. कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह और शशि थरूर ने भी इस फांसी पर सवाल उठाये थे. याकूब की फांसी का विरोध इसलिए हो रहा था, क्योंकि उसने जांच एजेंसियों के साथ काफी सहयोग किया था. वहीं एक तर्क यह भी दिया जा रहा था कि चूंकि वे मुसलमान हैं, इसलिए नरेंद्र मोदी की सरकार उन्हें आनन-फानन में फांसी पर चढ़ाना चाहती है.
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार याकूब की फांसी को लेकर छेड़ी गयी बहस के जवाब में सरकार ने बताया है कि 1991 से अब तक 26 लोगों को फांसी दी गयी है, जिनमें से सिर्फ चार लोग ही मुसलमान थे. बावजूद इसके कुछ मीडिया चैनलों ने याकूब की फांसी से पहले ऐसा माहौल बनाया जैसे सिर्फ अल्पसंख्यकों के साथ ही ऐसा किया जा रहा है.सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इंटेलिजेंस ब्यूरो ने अपनी रिपोर्ट में कुछ मीडिया चैनलों द्वारा दिखायी गयी रिपोर्ट को देश के लिए खतरा बताया है.
कई मीडिया हाउस को सरकार ने भेजा नोटिस
आईबी की रिपोर्ट के बाद सरकार ने कई मीडिया हाउस आज तक, एबीपी न्यूज और एनडीटीवी इंडिया को नोटिस भेजकर उनसे जवाब मांगा है. सरकार ने इन चैनलों के रवैये को खतरनाक माना है, क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही गलत बताने जैसा है.