नयी दिल्ली : आठ साल पहले तेजाब के हमले में बुरी तरह झुलसी और एक आंख की रौशनी गंवा चुकी 34 वर्षीय युवती ने मुफ्त इलाज के लिये उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. न्यायालय ने इस याचिका पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब करके जानना चाहा है कि निर्भया कोष से उसे मुआवजा और मुफ्त इलाज क्यों नहीं दिया जाये.
न्यायमूर्ति आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कुमारी नरगिस की याचिका पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार को नोटिस जारी किये. नरगिस ने न्यायालय को सूचित किया कि शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद सरकार ने उसे न तो कोई मुआवजा दिया है और न ही उसे 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार कांड की शिकार लड़की की तरह मुफ्त उपचार ही मुहैया कराया है.
नरगिस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता परमानंद कटारा ने कहा, ‘‘सामूहिक बलात्कार कांड की शिकार निर्भया को केंद्र सरकार ने निजी विमान से सरकारी खर्च पर इलाज के लिये सिंगापुर भेजा था जहां उसका इलाज हुआ था. याचिकाकर्ता भारत की नागरिक होने के नाते कानून के तहत समान संरक्षण की हकदार है.’’
इस मामले में आगरा निवासी नरगिस पर उसके रिश्तेदार के दोस्तों ने उस पर तेजाब से हमला किया था. इस हमले में नरगिस का चेहरा झुलस गया था और इस प्रक्रिया में उसकी एक आंख की रौशनी भी चली गयी थी. याचिकाकर्ता ने तेजाब के हमले के पीड़ितों को कम से कम तीन लाख रुपए बतौर मुआवजा देने के शीर्ष अदालत के निर्णय का हवाला देते हुये कहा कि उसे सरकारों ने अभी तक कोई राहत नहीं दी है.