नयी दिल्ली : पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह द्वारा कश्मीर मुद्दे पर दिया गया बयान पाक के लिए हथियार साबित हो सकता है. वह इस बयान के जरिये कश्मीर में जारी शांति प्रयासों को बाधित करने का प्रयास कर सकता है. ऐसी आशंका भी जतायी जा रही है कि आगे चलकर यह बयान भारत की विश्वसनीयता पर सवालखड़ेकर सकता है. यही कारण है कि सरकार वीके सिंह के बयान को लेकर बहुत चिंतित है.
सरकार अब इस कोशिश में जुटी है कि यह जल्द तय किया जा सके कि पूर्व जनरल के खिलाफ सेना की अंदरुनी जांच में लगाए आरोप कितने सही हैं. वीके सिंह पर सेना की खुफिया यूनिट के जरिए एक कश्मीरी राजनेता को पैसे देने का आरोप है. इस आरोप के जवाब में ही वीके सिंह ने दावा किया था कि सेना कश्मीर में नेताओं को पहले भी पैसे देती रही है ताकि राज्य में स्थिरता कायम रखी जा सके.
यूं तो अधिकारी जनरल वीके सिंह के इन आरोपों को खारिज करते हैं लेकिन उनका मानना है कि इसकी पूरी जांच जरूरी है. हालांकि, अधिकारी इस बात को लेकर एकमत हैं कि इस तरह के बयानों और विवादों से भारतीय पॉलिसी को बेहद नुकसान हुआ है. उनका कहना है कि पाकिस्तान इस मुद्दे को आगे की बातचीत के दौरान भी उठा सकता है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह रविवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने वाले हैं.
पाकिस्तान का प्रॉपेगैंडा है कि भारत कुछ स्थानीय नेताओं से मिलकर कश्मीर की जनता की इच्छाओं को दबा रहा है. वीके सिंह के बयान से उसके इस आरोप को बल मिल सकता है. हुर्रियत कॉन्फ्रेंस पहले ही इस बारे में बयान जारी कर चुकी है. अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि वीके सिंह के बयान की जांच कौन सी एजेंसी करेगी. हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर सेना के फंड का इस्तेमाल राजनीतिक कारणों से हुआ है तो इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जानी चाहिए.