मुंबई : सुदूर कीनिया के एक मॉल में हमले के टेलीविजन कवरेज को देख कक्षा दस की छात्रा को 2008 में 26/11 आतंकी हमले की याद ताजा हो गयी. 15 वर्षीय देविका रोतवन ने कहा, नैरोबी मॉल हमले के पीड़ितों के लिए मैं काफी दुखी हूं. पांच वर्ष पहले भी मुझे वही अहसास हुआ था जो मुझे टेलीविजन पर इस हमले के दृश्य को देखकर हुआ. 26 नवंबर 2008 की उस त्रासद रात देविका के पिता नटवरलाल छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर अपनी बेटी और बेटे आकाश के साथ एक ट्रेन का इंतजार कर रहे थे, उसी दौरान दो आतंकियों ने रेलवे स्टेशन पर गोलीबारी शुरु कर दी. अजमल कसाब के मुकदमे की सबसे कम उम्र की गवाह देविका के दाहिने पैर में गोली लगी. लंबे समय तक उसे बैशाखी का सहारा लेना पड़ा. मुंबई में देविका और अन्य के लिए नैरोबी मॉल हमले ने 26/11 आतंकी हमले की कड़वी यादों को ताजा कर दिया.
देविका ने कहा, पापा के साथ मैं नैरोबी हमले को देख रही थी. उसी तरह से हमला हुआ है. यहां पर लक्जरी होटल में हुआ, वहां एक मॉल में हुआ. यह 26/11 हमले के दूसरे भाग की तरह है. इन लोगों की मंशा सार्वजनिक जगहों पर अफरातफरी पैदा करने की है.उपनगर बांद्रा में एक स्कूल में पढने वाली देविका ने कहा कि पिछले महीने उन्हें एक पत्र मिला जिसमें 26/11 आतंकी हमले के बारे में मीडिया के सामने कुछ नहीं बोलने को कहा गया था. देविका ने कहा, पत्र में लिखा था कि अगर मैं मुंह खोलती हूं तो मेरा टुकड़े–टुकडे कर दिये जाएंगे.