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वन्यजीव कार्यकर्ता और स्थानीय निवासी आमने सामने

भुवनेश्वर : यहां के नंदनकानन चिडि़याघर में रह रहे एक जंगली नर बाघ को लेकर उड़ीसा सरकार मुश्किल में पड़ गयी है क्योंकि स्थानीय लोग जहां इसे चिडि़याघर में ही रखने की मांग कर रहे हैं वहीं वन्यजीव कार्यकर्ता इसके खिलाफ हैं. वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने यह कहते हुए बाघ को जंगल में छोड़ने की मांग […]

भुवनेश्वर : यहां के नंदनकानन चिडि़याघर में रह रहे एक जंगली नर बाघ को लेकर उड़ीसा सरकार मुश्किल में पड़ गयी है क्योंकि स्थानीय लोग जहां इसे चिडि़याघर में ही रखने की मांग कर रहे हैं वहीं वन्यजीव कार्यकर्ता इसके खिलाफ हैं.

वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने यह कहते हुए बाघ को जंगल में छोड़ने की मांग की है कि इसे कैद कर रखना गैरकानूनी है. चिडि़याघर के आसपास रह रहे लोगों ने बाघ को छोड़े जाने के विरोध में हस्ताक्षर अभियान चला रखा है. उन्हें आशंका है कि अगर बाघ को छोड़ दिया गया तो उन्हें नुकसान हो सकता है.

स्थानीय निवासी बलराम लेंका ने कहा हमें आशंका है कि बाघ लौट आएगा और लोगों के लिए फिर मुसीबत खड़ी हो जायेगी.
पेशे से अधिवक्ता बिजोय पात्रा की अगुवाई में नंदन कानन सुरक्षा परिषद ने हस्ताक्षर अभियान चलाया हुआ है. पात्रा ने बाघ को छोड़े जाने के किसी भी प्रयास के विरोध में ओडिशा उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दाखिल की है.

लेंका ने बताया कि करीब छह साल के इस स्वस्थ रॉयल बेंगाल टाइगर ने इलाके में किसी मनुष्य या पशु पर हमला नहीं किया है लेकिन तीन साल पहले जब उसके पंजे के निशान देखे गये थे तो लोग दहशत में आ गये थे.

बारंगा और दाढ़ा गांव के निवासियों ने बताया अच्छी बात यह रही कि बाघ अपनी ही गलती से शिकंजे में आ गया. इसे छोड़ने पर भविष्य में समस्या हो सकती है. बहरहाल, वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने बाघ को कैद कर रखने के किसी भी कदम का यह कहते हुए विरोध किया है कि यह कानून का उल्लंघन होगा.

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