नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय 23 वर्षीय छात्रा के साथ 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार और हत्या के लिये चार दोषियों के खिलाफ सुनायी गयी मौत की सजा की पुष्टि के लिये आये मामले पर कल से रोजाना सुनवायी करेगा. न्यायाधीश रेवा खेत्रपाल और प्रतिभा रानी की पीठ ने दोषियों मुकेश (26 ) , अक्षय ठाकुर (28), पवन गुप्ता (19)और विनय शर्मा (20)की पेशी दर्ज करने के बाद आज कहा, ‘‘मौत की सजा की पुष्टि के लिये लाये गये मामले पर कल से नियमित सुनवाई करेंगे. इस बीच, आप (दोषी) अपील दाखिल करें.’’
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अदालत ने इसके साथ ही दोषियों के वकील की इस मामले में जल्द सुनवाई का विरोध करने संबंधी दलील को खारिज कर दिया. अदालत द्वारा पेशी वारंट जारी किए जाने के मद्देनजर चारों दोषियों को पुलिस के कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के साथ पीठ के समक्ष पेश किया गया.परेशान नजर आ रहे चारों दोषियों को अदालत के खचाखच भरे कक्ष में लाया गया जहां प्रतिवादियों , अदालत कर्मचारियों और अन्य कर्मचारियों समेत सैंकड़ों लोग बाहर इंतजार कर रहे थे. जब पुलिसकर्मी चारों दोषियों को अदालत में लेकर आए तो महिलाओं के एक समूह ने नारेबाजी शुरु कर दी और कहा कि उन्हें चारों को पीटने की अनुमति दी जाए. पुलिस ने महिलाओं तथा अन्य लोगों को अदालत कक्ष में प्रवेश करने से रोक दिया.
मामले की सुनवाई के दौरान दोषी मुकेश का पक्ष रख रहे अधिवक्ता वी के आनंद ने अदालत को बताया कि वह निचली अदालत द्वारा दी गयी 30 दिन की समय सीमा के भीतर अपील दाखिल करेंगे. पवन की ओर से पेश हुए वकील विवेक शर्मा ने भी पीठ से इसी तरह का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि मामले की सुनवाई कम से कम एक हफ्ते बाद होनी चाहिये. वकील ए पी सिंह ने कहा कि वे दोषी अक्षय और विनय की तरफ से पेश होंगे.
पीठ ने हालांकि उनकी अपील को खारिज करते हुए कहा, ‘‘ हम आपकी अपील दाखिल होने तक हम इस मामले पर सुनवाई समाप्त नहीं करेंगे लेकिन कोई हमें मामले की पृष्ठभूमि पर सुनवाई करने से नहीं रोक सकता. हमें बताया गया है कि दस्तावेजों से भरे चार बैग हैं और अभियोजन पक्ष कल से मामले को खोल सकता है.’’
पीठ ने कहा, ‘‘ केवल एक वकील केंद्र बिंदुओं को नोट करने के लिए कार्यवाही में भाग ले सकता है. आप सभी वकीलों को अदालत में हाजिर रहने की जरुरत नहीं है.’’ पीठ ने कहा, ‘‘ यह न्याय के हित में है कि मामले की कल से सुनवाई की जानी चाहिए. उनके (दोषियों) सिरों पर भी तलवार लटक रही है. यह उनके भी हित में है कि अदालत को मौत की पुष्टि के लिये लाये गये मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई करनी चाहिए.’’ इस बीच, विशेष सरकारी वकील दयान कृष्णन ने कानूनी प्रावधानों का जिक्र किया और कहा कि अभियोजन पक्ष को पहले अपना मामला खोलना चाहिए.
सुनवाई पूरी होने पर वहां मौजूद लोगों ने दोषियों के फोटो खींचने शुरु कर दिए. अदालत ने कल पेशी वारंट जारी किया था और तिहाड़ जेल प्रशासन को मौत की सजा पाए चारों दोषियों को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया था ताकि उन्हें निचली अदालत द्वारा सुनायी गयी मौत की सजा की पुष्टि पर सुनवाई हो सके. 13 सितंबर को मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को मौत की सजा सुनाते हुए निचली अदालत ने सजा की पुष्टि के लिए मामले को उच्च न्यायालय को भेज दिया था.
निचली अदालत को मौत की सजा वाले प्रत्येक मामले में सजा की पुष्टि के लिए मामले को उच्च न्यायालय के पास भेजना होता है. निचली अदालत ने दोषियों को उच्च न्यायालय के समक्ष अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया है. निचली अदालत ने सामूहिक बलात्कार के चारों दोषियों को मौत की सजा सुनायी थी और कहा था कि यह दुर्लभ से दुर्लभतम अपराध की श्रेणी में आता है क्योंकि 23 वर्षीय ‘‘निहत्थी’’ लड़की के खिलाफ ‘‘पाशविक ’’ और ‘‘रोंगटे खड़े कर देने वाले ’’ तरीके से अपराध को अंजाम दिया गया.
अदालत ने कहा, ‘‘ उसी के अनुसार, दोषियों को मृत्यु तक फांसी पर लटकाया जाए.’’अदालत ने साथ ही कहा था कि दोषियों के अमानवीय और पाशविक कृत्यों ने राष्ट्र की सामूहिक चेतना को झकझोर दिया और यह ऐसी सजा दिए जाने के पात्र हैं जो दूसरों के लिए एक सबक हो. इस मामले के मुख्य आरोपी राम सिंह (34) को मार्च में तिहाड़ जेल में अपनी कोठरी में मृत पाया गया था और उसके खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी गयी. 31 अगस्त को मामले में किशोर आरोपी को दोषी ठहराया गया और उसे एक सुधार गृह में अधिकतम तीन साल की सजा सुनायी गयी.
गौरतलब है कि पिछले वर्ष 16 दिसंबर को पैरा मेडिकल की छात्रा के साथ दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया था.इस मामले में छात्रा के 28 वर्षीय मित्र को भी गंभीर चोटें आयी थीं. छात्रा ने 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था.