मुंबई: शिवसेना के मुखपत्र सामना में आज सांप्रदायिक कट्टरवाद को मुद्दा बनाया गया और उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को भी जोड़ा गया है. सामना में लिखा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांप्रदायिक कट्टरवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने के कठोर रुख पर तमाम तरह के तर्क- कुतर्क करके इसे हिंदुत्ववादी ताकतों के खिलाफ होने का दुष्प्रचार और गलत अभिप्राय निकाल कर पेश किया जा रहा है. प्रधानमंत्री का यह बयान छलपूर्वक धर्मांतरण करने वालों को कड़वा डोज लगता है.
शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कट्टरवादियों के संदर्भ में कठोर भूमिका ली है. उन्होंने यह चेतावनी दी है कि सांप्रदायिक कट्टरवाद को कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. इस तरह की कड़वी औषधि की आश्वयकता तो थी ही. परंतु सवाल पैदा होता है कि दवा का यह कड़वा डोज सचमुच किसके लिए है ?
संपादकीय में कहा गया है, जब से प्रधानमंत्री का बयान आया है तब से तर्क कुतर्क जारी है. कुछ लोगों का दुष्प्रचार है कि नरेंद्र मोदी का कड़वा डोज कट्टर हिंदुत्ववादियों के लिए है और मोदी ने अपने समर्थक कट्टर हिंदुवादियों को फटकारा है… किंतु यह दुष्प्रचार ठीक नहीं है. नरेंद्र मोदी का अभिप्राय गलत ढंग से पेश किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि मोदी ने हाल ही में जोर दिया था कि वह किसी समुदाय के खिलाफ हिंसा या भेदभाव को बर्दाश्त नहीं करेंगे और कुछ नेताओं के बयान को गैर जरूरी और दुर्भाग्यपूर्ण बताया था.
शिवसेना ने कहा, हिंदुत्व एक संस्कृति और संस्कार है और उसमें अतिरिक्त उत्साह अनावश्यक है. लेकिन गरीब, आदिवासी हिंदुओं को छलपूर्वक ईसाई अथवा मुसलमान बनाना उन्माद और अतिरेक है. ऐसे में यह धर्मांतरण करने वालों को मोदी का कड़वा डोज जान पड़ता है. शिवसेना के मुखपत्र के संपादकीय के अनुसार, हिंदुत्ववादी ताकतें पूर्ववर्ती कांग्रेस के शासनकाल में भी इसी तरह से प्रभावी थीं. उस काल में हिंदुत्व की प्रखर लहर उठी थी और अगर ऐसा नहीं होता तो बाबरी मस्जिद ध्वस्त नहीं हुई होती.
संपादकीय में कहा गया है कि हिंदुत्व की इसी लहर के चलते भारतीय जनता पार्टी को यह स्थान प्राप्त हुआ. यदि यह हिंदुत्व की चेतना भाजपा को नहीं प्राप्त हुई होती तो भाजपा संभवत: राजनीतिक तौर पर आज वाली स्थिति में नहीं पहुंच पाती. शिवसेना ने कहा कि मोदी का अभिप्राय छलपूर्वक गरीब, आदिवासी हिंदुओं को ईसाई अथवा मुसलमान बनाने वालों पर लागू जान पड़ता है.
संपादकीय के अनुसार, चर्चों पर जो हमले हुए उसके पीछे के असली कारण और असली अपराधी क्या सामने लाये जा सके ? यदि यह सब धर्मांतरण के विवाद से हुआ होगा तो धर्मांतरण करने वालों को यह मोदी का कड़वा डोज लगता है. पार्टी ने कहा कि परंतु हिंदुत्ववादियों को नजरों के समक्ष रखकर मोदी ने यह कठोर बयान दिये होंगे, ऐसा लगता नहीं. हमारी राय में समान नागरिक संहिता का विरोध करने वालों और संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का विरोध करने वालों का उन्माद मोदी को असह्य हुआ. उनका बयान ओवैसी जैसे लोगों पर केंद्रित है. मोदी ने कश्मीर में पाकिस्तान का झंडा लहराने वालों को फटकारा है.