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उच्चतम न्यायालय राजनीतिक लड़ाई का मैदान नहीं है

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने संचार मंत्री के रुप में द्रमुक नेता दयानिधि मारन के चेन्नई स्थित घर में गैरकानूनी टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित करने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई से आज इंकार करते हुये कहा कि राजनीतिक लड़ाई अदालतों में नहीं लड़ी जानी चाहिए. न्यायमूर्ति बी एस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ […]

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने संचार मंत्री के रुप में द्रमुक नेता दयानिधि मारन के चेन्नई स्थित घर में गैरकानूनी टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित करने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई से आज इंकार करते हुये कहा कि राजनीतिक लड़ाई अदालतों में नहीं लड़ी जानी चाहिए.

न्यायमूर्ति बी एस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा दायर जनहित याचिका पर विचार से इंकार करते हुये कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय राजनीतिक लड़ाई का मैदान नहीं है. आप की मारन में क्या दिलचस्पी है?’’ याचिकाकर्ता के वकील एन राजारमण ने इस याचिका पर सुनवाई का अनुरोध करते हुये कहा कि इसी तरह की एक अन्य याचिका शीर्ष अदालत में लंबित है जिसमें सीबीआई और बीएसएनएल से जवाब तलब किया गया है. न्यायाधीश इस बारे में दी गयी दलीलों से संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने कहा कि एक ही मसले पर कई याचिकायें दायर नहीं की जानी चाहिए.

याचिकाकर्ता के आर रामास्वामी ने याचिका में कहा था कि मारन द्वारा चेन्नई स्थित घर में टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित करके लोकसेवक के पद का कथित दुरुपयोग करने के आरोपों की जांच की जानी चाहिए. इस एक्सचेंज की 323 लाइनें मारन के परिवार के स्वामित्व वाले सन टीवी नेटवर्क कार्यालय जाती थीं जिसकी वजह से बीएसएनएल और सरकारी खजाने को 440 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. इसी तरह की एक अन्य याचिका स्वामीनाथन गुरुमूर्ति ने दायर कर रखी है जिस पर शीर्ष अदालत ने 11 मई को सीबीआई और बीएसएनएल को नोटिस जारी किये थे.

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