नयी दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के कुछ प्रावधानों को सख्त बनाने के लिए सामाजिक न्याय मंत्रालय की ओर से सुझाए गए संशोधनों पर फैसला आज टाल दिया.
मंत्रालय ने संशोधनों के जरिए कुछ और अपराधों को इस अधिनियम के दायरे में लाने की मांग की थी, लेकिन सूत्रों का कहना है कि कैबिनेट ने फिलहाल इस पर फैसला नहीं किया.कैबिनेट ने मंत्रालय की ओर से पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम की अधिकृति शेयर पूंजी को 700 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1500 करोड़ रुपये करने के लिए दिए गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कुमारी सैलजा ने अधिनियम में संशोधनों की जरुरत पर जोर देते हुए कहा था कि अनुसूचित जाति और जनजाति के खिलाफ अपराध अब भी बड़े पैमाने पर हो रहे हैं. मंत्रालय बलात्कार और अपहरण जैसे कई दूसरे अपराधों को भी इस अधिनियम के तहत लाना चाहता है.