लखनउ : उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में सेना की तैनाती के बावजूद साम्प्रदायिक हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. जिले में आज भी हिंसा की कुछ वारदात हुई हैं और शुक्रवार रात शुरु हुए दंगों में अब तक 31 लोगों की मौत हो चुकी है.उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर हिंसा के बारे में प्रेस के साथ बातचीत में कहा, कई पार्टियां माहौल खराब करने का प्रयास कर रही हैं. उन्होंने कहा कि माहौल खराब करने वाले को बख्शा नहीं जायेगा. हिंसा पर जल्द ही काबू पा लिया जाएगा.
गृह विभाग के प्रमुख सचिव आर. एम. श्रीवास्तव ने बताया कि दंगों में अब तक 31 लोगों की मौत हो चुकी है.उन्होंने बताया कि निषेधाज्ञा के उल्लंघन के मामले में भाजपा के चार विधायकों तथा कांग्रेस के एक पूर्व सांसद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. इनमें भाजपा विधानमंडल दल के नेता हुकुम सिंह, उन्हीं की पार्टी के विधायक सुरेश राणा, भारतेन्दु, संगीत सोम तथा कांग्रेस के पूर्व सांसद हरेन्द्र मलिक शामिल हैं.
इस बीच, पुलिस महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) राजकुमार विश्वकर्मा ने बताया कि मुजफ्फरनगर में हिंसा अभी पूरी तरह थमी नहीं है और मीरापुर में आज एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गयी है.
हालात पर निगाह रख रहे अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) अरुण कुमार ने मुजफ्फरनगर में संवाददाताओं को बताया कि गत शनिवार की रात को शुरु हुई हिंसा में घायल 45 लोगों का अस्पताल में इलाज किया जा रहा है.
कुमार ने बताया कि जिले के फुगाना, शाहपुर तथा धौराकलां में सभी हथियारों के लाइसेंस निरस्त किये जाएंगे. इसके अलावा हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे फुगाना के थाना प्रभारी ओमवीर को हटा दिया गया है. इस बीच, गृह विभाग के सचिव कमल सक्सेना ने बताया कि हिंसा के मामले में अब तक 200 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
सक्सेना ने बताया कि मुजफ्फरनगर तथा आसपास के इलाकों में पुलिस तथा केंद्रीय बल के साथ-साथ सेना भी तैनात की गयी है. लेकिन ग्रामीण इलाकों में हिंसक वारदात होने की वजह से हालात काबू करने में दिक्कतें पेशी आयीं.
उन्होंने बताया कि शनिवार रात शुरु हुई हिंसा के बाद जिले के सिविल लाइंस, कोतवाली तथा नई मंडी इलाकों में लागू कर्फ्यू बरकरार है. सक्सेना ने बताया कि मुजफ्फरनगर के अलावा मेरठ तथा शामली जिलों में भी सेना तैनात है और वह दंगाइयों के हौसले पस्त करने तथा आम नागरिकों में सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिये फ्लैग मार्च कर रही है.
गौरतलब है कि गत 27 अगस्त को कवाल क्षेत्र में दो मोटरसाइकिलों की टक्कर के बाद हुई हिंसा में तीन लोगों की मौत की घटना के सिलसिले में दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग पर बल देने के लिये पिछली सात सितम्बर को सिखेड़ा थाना क्षेत्र के नगला गांव में महापंचायत आयोजित की गयी थी. इसमें शामिल होने जा रहे लोगों से भरी ट्रैक्टर-ट्राली पर पथराव हुआ था.
इसकी प्रतिक्रिया में एक समुदाय के युवक की हत्या किये जाने के बाद पूरे मुजफ्फरनगर में हिंसा भड़क गयी थी. इस वारदात में पहले ही दिन एक टीवी पत्रकार समेत 10 लोगों की मौत हो गयी थी. बाद में सेना की मौजूदगी में अब तक 21 और लोग मारे जा चुके हैं.
स्थिति की गंभीरता और तनाव को देखते हुए सिविल लाइंस, कोतवाली और नई मंडी थाना क्षेत्र में कफ्यरू लगा दिया गया थी. हालात बेकाबू होते देख केंद्रीय बल तथा सेना भी बुला ली गयी थी. साथ ही पूरे प्रदेश में हाई अलर्ट जारी किया गया था.
क्या है मामला
27 अगस्त को कावल गांव में कथित तौर पर युवती से छेड़छाड़ को लेकर हुई हिंसा में उसके दो भाइयों की मौत हो गयी थी. इसके बाद से ही जिले में दोनों समुदायों के बीच तनाव कायम था. इस दौरान इंटरनेट पर हत्या से संबंधित एक नकली वीडियो डाल दिया गया और गांवों में सीडी भी वितरित की गयी. वहीं कावल गांव में हिंसा के सिलसिले में दर्ज किये गये मामलों को वापस लेने की मांग को लेकर निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए नगलाबादहोद में शनिवार को पंचायत की गयी थी. आरोप है कि पंचायत में जा रहे लोगों पर एक समुदाय के लोगों ने पथराव कर दिया. इसके बाद भीड़ बेकाबू हो गयी. झड़पों में एक पत्रकार सहित नौ लोग मारे गये थे. 34 अन्य घायल हुए थे.