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राहुल गांधी का अगला पडाव विदर्भ, कल करेंगे पदयात्रा
नयी दिल्ली : किसानों के मुद्दों को लेकर राहुल गांधी का अगला पडाव महाराष्ट्र का विदर्भ होगा जहां वह कल 15 किलोमीटर की किसान पदयात्रा करेंगे. वह देशभर में किसानों तक पहुंच बनाने के लिए विभिन्न राज्यों का दौरा कर रहे हैं. कल पंजाब के किसानों से मुलाकात कर चुके कांग्रेस उपाध्यक्ष अपना पैदल मार्च […]
नयी दिल्ली : किसानों के मुद्दों को लेकर राहुल गांधी का अगला पडाव महाराष्ट्र का विदर्भ होगा जहां वह कल 15 किलोमीटर की किसान पदयात्रा करेंगे. वह देशभर में किसानों तक पहुंच बनाने के लिए विभिन्न राज्यों का दौरा कर रहे हैं. कल पंजाब के किसानों से मुलाकात कर चुके कांग्रेस उपाध्यक्ष अपना पैदल मार्च गुरुवार सुबह सात बजे गुंजी गांव से शुरु करेंगे और इसका समापन रामगांव में होगा. महाराष्ट्र गंभीर कृषि संबंधी संकट का सामना करने वाले राज्यों में से एक है और विदर्भ क्षेत्र में अमरावती में इस साल कई किसानों ने आत्महत्या की है.
राहुल के कार्यालय से जारी कार्यक्रम के अनुसार कांग्रेस उपाध्यक्ष कल अमरावती जिले के राजना और तोंगलाबाद गांव भी जाएंगे. वह उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और तेलंगाना के भी कई जिलों का दौरा करेंगे. राहुल कल भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ अपनी लडाई को पंजाब ले गए थे. उन्होंने ट्रेन से सफर कर राजग के शासन वाले राज्य पहुंचे और किसानों के लिए हर मंच पर आवाज उठाने का संकल्प किया. उनकी यात्रा ऐसे समय हुई है जब किसानों ने सरकार पर गेहूं की खरीद के प्रति उदासीन होने का आरोप लगाया है.
उत्तर प्रदेश में राहुल बुंदेलखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश का दौरा कर सकते हैं. कांग्रेस उपाध्यक्ष ने विगत में संप्रग शासन के दौरान भी क्षेत्र के लिए पैकेज सुनिश्चित करते हुए बुंदेलखंड का मुद्दा उठाया था. पूर्वी उत्तर प्रदेश की सीमा बिहार से लगती है जहां इस साल के अंत में चुनाव होने हैं. भूमि अधिग्रहण विधेयक को बडा मुद्दा बनाए जाने की कांग्रेस की कोशिशों के साथ जनता तक पहुंचने की राहुल की योजना पार्टी कैडरों में जोश फूंकने और किसान समुदाय में पार्टी का आधार मजबूत बनाने पर केंद्रित है.
राहुल के पैदल मार्च को वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी शिकस्त के बाद पार्टी को जमीनी स्तर से जोडने के प्रयास के रुप में भी देखा जा रहा है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को महज 44 सीटें मिली थीं, जबकि 2009 में उसकी झोली में 206 सीट गई थीं. लोकसभा चुनाव में पराजित होने के बाद भी कांग्रेस की हार का सिलसिला जारी रहा और उसे कई विधानसभा चुनावों में हार का मुंह देखना पडा.
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