नयी दिल्ली : राजधानी में पिछले साल 16 दिसम्बर को हुये सामूहिक बलात्कार मामले में त्वरित अदालत 10 सितम्बर को अपना फैसला सुनाएगी. इस वारदात में चलती बस में 23 वर्षीय लड़की से बलात्कार के बाद हत्या के मामले में चार वयस्क आरोपियों पर मुकदमा चल रहा था.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने आज अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों की जिरह समाप्त हो जाने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. किशोर न्याय बोर्ड द्वारा किशोर अपराधी को तीन वर्ष की परिवीक्षा अवधि में भेजे जाने के दो दिनों बाद निचली अदालत में सुनवाई की प्रक्रिया खत्म हुई.
इससे पहले विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) दयान कृष्णन ने बचाव पक्ष के वकील के इस दावे के खिलाफ तर्क पेश किए कि मरते समय पीड़िता के बयान, उसके पुरुष मित्र के बयान, डीएनए के नमूने एवं अन्य मेडिकल साक्ष्य जांच एजेंसी की तरफ से गढ़े गए थे.
कृष्णन ने कहा कि पुलिस ने अदालत के समक्ष पर्याप्त सामग्री पेश की जिससे प्रत्येक आरोपी के दोष को साबित किया जा सके. उन्होंने बचाव पक्ष के इस दावे को भी गलत बताया कि बस से डीएनए के नमूने एकत्र नहीं किए जा सकते थे क्योंकि वारदात के बाद सुबह वाहन धो दिया गया था.
उन्होंने कहा कि सतह को कई बार धोने के बावजूद फिंगरप्रिंट और खून के धब्बों को आसानी से निकाला जा सकता है और ‘‘अगर सतह को ब्लीचिंग से साफ किया गया हो तब भी डीएनए लिया जा सकता है.’’ उन्होंने कहा कि पीड़िता पर हमले के दौरान लोहे की छड़ का प्रयोग किया गया जो मेडिकल साक्ष्य एवं मरने के समय दिए गए बयान से मिलता है.
आरोपी मुकेश के वकील वी. के. आनंद ने आज अपने अंतिम तर्क पेश किए और दावा किया कि केवल बस में उसकी उपस्थिति यह नहीं दर्शाता कि वह सामूहिक बलात्कार, लूट और लड़की की हत्या मामले में शामिल था. मुकेश के अलावा अन्य आरोपी विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर और पवन गुप्ता हैं.
अभियोजन के मुताबिक राम सिंह, विनय, अक्षय, पवन और मुकेश ने चलती बस में लड़की से कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया और उन पर लोहे की रॉड से हमला किया. झगड़े के दौरान पीड़िता के दोस्त की हड्डी टूट गई. लड़की की सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी.
मुकदमा चलने के दौरान राम सिंह 11 मार्च को तिहाड़ जेल में मृत पाया गया और उसके खिलाफ अदालती कार्यवाही रोक दी गई. अदालत ने 117 सुनवाई के दौरान अभियोजन और आरोपी की तरफ से मामले में साक्ष्य रिकार्ड किए. चारों वयस्क आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए अभियोजन ने 85 गवाहों से जिरह किया. आरोपियों ने बचाव में 17 गवाह पेश किए.