नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने आज कहा कि काबुल के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा भिक्षा पात्र भगवान बुद्ध का होने के संबंध में उस समय तक नतीजा निकालना संभव नहीं है जब तक कि उसे वास्तविक पुरातत्वीय साक्ष्यों के साथ प्रमाणित न किया जाए.
संस्कृति मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच ने लोकसभा में डा रघुवंश प्रसाद सिंह के सवाल के जवाब में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि भिक्षा पात्र को इस समय अफगानिस्तान में काबुल के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया है. भारतीय दूतावास ने इस भिक्षापात्र का एक छायाचित्र भेजा है.
कटोच ने बताया कि भिक्षापात्र पर स्थित अभिलेखों की जांच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, पुरालेख शाखा नागपुर द्वारा की गयी है और यह पाया गया है कि ये अभिलेख नास्तालिक (फारसी) में लगभग 16वीं शताब्दी ईसवीं के हैं.
उन्होंने बताया कि विभिन्न रिपोटरे और यात्रा वृतांतों में प्रदत्त सूचना के आधार पर किसी प्रकार का नतीजा निकालना संभव नहीं है जब तक कि उसे वास्तविक पुरातत्वीय साक्ष्यों के साथ प्रमाणित न किया जाए. उन्होंने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टिप्पणियों सहित उपलब्ध सूचनाओं को पहले ही विदेश मंत्रालय को भेज दिया गया है.