नयी दिल्ली: संघर्ष ग्रस्त यमन में फंसे भारतीयों में से 349 अदन से नौसेना के एक पोत से कल देर रात जिबौती पंहुच गए. यमन के पडोसी देश जिबौती से उन्हें जल्द ही विमानों से मुंबई लाया जाएगा. भारत ने यमन में फंसे अपने 4,000 से अधिक नागरिकों को वापस देश लाने के लिए बडे पैमाने पर वायु एवं समुद्री अभियान शुरु किया है जिसे ‘ऑपरेशन राहत’ का नाम दिया गया है.
भारतीय अपतटीय गश्ती पोत आईएनएस सुमित्रा को अदन बंदरगाह पर खडा करने की मंजूरी मिलने के बाद भारतीयों को वहां से निकाला गया. यह पोत गत 11 मार्च से दस्यु विरोधी गश्ती के लिए अदन की खाडी में तैनात था. पोत को यमन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए सबसे पहले यमन की ओर रवाना किया गया.
पोत को 30 मार्च को अदन बंदरगाह के पास तैनात किया गया और इसके बाद यह कल शाम अदन बंदरगाह पहुंचा. अदन में भीषण लडाई जारी होने की वजह से पोत को स्थानीय मंजूरी के लिए घंटों इंतजार करना पडा.
नौसेना ने एक बयान में कहा, ‘‘जहाज ने 349 भारतीयों को अदन से बाहर निकाला. इन लोगों को जिबौती में उतारने के बाद, जहाज जरुरी पडने पर और लोगों को बाहर निकालने के लिए वापस अदन लौटेगा.’’ रक्षा सूत्रों ने कहा कि पोत जिबौती पहुंच गया है और यमन में फंसे भारतीयों की वापसी के काम की देख रेख के लिए जिबौती गए विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) वहां लोगों से बातचीत करेंगे.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि वहां से निकाले जाने के बाद सभी भारतीय सुरक्षित हैं और जल्द ही उन्हें वहां से स्वदेश लाया जाएगा. भारतीय नौसेना जहाज (आईएनएस) मुंबई और तर्कश भी ऑपरेशन राहत में हिस्सा लेने के लिए 30 मार्च को मुंबई से निकल चुके हैं. दोनों जहाज समुद्री डाकूओं के खतरे वाले सोमालिया तट के पास के इलाके से गुजरते समय दो यात्री पोतों कवारत्ती और कोरल की हिफाजत करेंगे.