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आज कहीं आप तो नहीं बने ”April Fool”, जानें इसके पीछे की कहानी

अप्रैल की पहली तारीख को अप्रैल फूल’ या ‘ऑल फूल’ के नाम से मनाया जाता है. अंग्रेजी शब्‍द ‘फूल’ यानी ‘मूर्ख दिवस’ के रूप में यह भारत, कनाडा, यूरोप, ऑस्‍ट्रेलिया, ब्राजील, अमेरिका जैसे देशों में जाना जाता है. इस दिन लोग अपने दोस्‍तों सगे-सं‍बंधियों को बेवकूफ बनाने का मौका नहीं छोड़ते. दोस्‍तों को बिना हानि […]

अप्रैल की पहली तारीख को अप्रैल फूल’ या ‘ऑल फूल’ के नाम से मनाया जाता है. अंग्रेजी शब्‍द ‘फूल’ यानी ‘मूर्ख दिवस’ के रूप में यह भारत, कनाडा, यूरोप, ऑस्‍ट्रेलिया, ब्राजील, अमेरिका जैसे देशों में जाना जाता है.
इस दिन लोग अपने दोस्‍तों सगे-सं‍बंधियों को बेवकूफ बनाने का मौका नहीं छोड़ते. दोस्‍तों को बिना हानि पहुंचाए एक दूसरे का मजाक उड़ाना, उन्‍हें बेवकूफ बनाना इस दिन माफ है.
हिंदू धर्म में जिस तरह होली के दिन ‘बुरा ना मानो होली है’ कहकर कोई भी काम करने की जैसे अधिकार प्राप्‍त कर लेते है ठीक वैसे ही अप्रैल फूल के दिन दोस्‍तों को बेवकूफ बनाने का जैसे विशेषाधिकार प्राप्‍त हो जाता है.
वैसे सालभर में अगर एक दिन लोग हल्‍के-फुल्‍के जोक्‍स और लोगों पर प्रैंक्‍स कहकर हंसी मजाक करते हैं तो इसमें हर्ज ही क्‍या है. बशर्ते इससे किसी की भावना को ठेस ना पहुंचे. सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर कई जोक्‍स, मैसेजेज छाए हुए हैं.
कब शुरू हुआ ‘अप्रैल फूल’ का चलन:
वैसे तो ‘अप्रैल फूल’ डे की शुरुआत को लेकर इतिहास में अलग- अलग बातें बतायी गयी हैं. फ्रांस में 16वीं शताब्‍दी से पहले 1564 ई. तक जूलियन कैलेंडर का इस्‍तेमाल किया जाता था. जिसमें नया साल का आरंभ अप्रैल के महीने में होता था.
उसके बाद किंग चार्ल्‍स IX ने फ्रांस में जॉर्जियन कैलेंडर लागू कर दिया जिसके बाद से साल का पहला दिन 1जनवरी को मनाया जाने लगा. उसी दिन से अप्रैलकी पहली तारीख को अप्रैल फूल के रूप में मनाया जाने लगा.
लेकिन कई लोग इस तरह से नये साल की तारीख बदलने को नये अप्रैल फूल की शूरुआत नहीं मानते हैं.
आज फ्रांस में लोग अप्रैल फूल को ‘Poisson d’Avril’ नाम सेकहते हैं जिसका शाब्दिक अर्थ ‘अप्रैल फिश’ होता है. बच्‍चे स्‍कूलों में अपने दोस्तों के कपड़े में पीछे से मछलियां डाल देते थे और इसी फ्रैंच शब्‍द का इस्‍तेमाल कर मजाक उड़ाते थे. तब से ही यह चलन में है.
कौन बना सबसे पहले अप्रैल फूल:
1698 ई. में लंदन में कई लोगों को ‘वॉशिंग द लायंस’ यानी ‘शेर की धुलाई’ देखने के लिए धोखे से टावर ऑफ लंदन ले जाया गया था. उस वक्‍त इसकी आधिकारिक यप से घोषणा की गयी कि इन लोगों को मूर्ख बनाया गया है.

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